अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक जगह है. यह उत्तर प्रदेश में है और अयोध्या नगर निगम के अंतर्गत एक नगरीय क्षेत्र है. अयोध्या का पुराना नाम साकेत है. यह प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में हिन्दू धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. अयोध्या पुराने समय में कोसल राज्य की राजधानी और प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी. प्रभु श्री राम की जन्मभूमि होने के चलते अयोध्या को मोक्षदायिनी और हिन्दुओं वाले लोगों के लिए प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है.
पूर्वकालीन भारत के सात सबसे पवित्र शहरों या में से एक अयोध्या को माना जाता है. अवध क्षेत्र की पूर्व राजधानी अयोध्या, भगवान राम के अनुयायियों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है. अथर्व वेद के मुताबिक देवताओं ने इस पवित्र स्थान का निर्माण किया था, जो स्वर्ग के समान समृद्ध था. धर्मग्रंथ के अनुसार, कोसलदेश की राजधानी पर कई महान राजाओं ने राज्य किया, जिनमें पृथु, इक्ष्वाकु, मांधाता, सगर, हरिश्चंद्र, भगीरथ, दिलीप, रघु, दशरथ और प्रभु श्री राम शामिल थे. उनके शासनकाल के दौरान, राज्य की वैभव चरम पर थी और यह काल राम राज्य का सबसे उत्तम उदाहरण था. प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण और श्रीरामचरितमानस अयोध्या के वैभव को प्रदर्शित करते हैं.
अयोध्या धाम राजधानी लखनऊ से तकरीबन 130 किलोमीटर और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 668 किलोमीटर दूर है. अयोध्या चार जिलों से घिरा हुआ है जिसमें बस्ती, गोंडा, सुल्तानपुर और बाराबंकी शामिल है. अयोध्या में चार वेदों की तर्ज पर 4 पथ बनाए गए हैं. जिसमें भक्ति पथ, धर्म पथ, राम जन्मभूमि पथ और सबसे लंबा लगभग 13 किलोमीटर का राम पथ का भी निर्माण किया गया है. इन सभी मार्गों में सबसे ज्यादा राम पथ की चर्चा है क्योंकि इसे बनाने के लिए 2 दर्जन से अधिक मंदिरों और दर्जन भर से अधिक मस्जिदों को हटाना पड़ा था.
अयोध्या में कुछ प्रमुख सड़कों के नाम इस प्रकार है.
- कल्याण सिंह मार्ग
- राम जन्म भूमि पथ
- राम पथ
- धर्मपथ
- लक्ष्मण पथ
- अवध आगमन पथ
- क्षीरसागर पथ
अयोध्या में कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल है जो इस प्रकार है
- रामकोट- अयोध्या के मुख्य दर्शनीय स्थलों में से एक, यह एक ऊंचे स्थान पर स्थित है और मंदिरों और तीर्थस्थलों से युक्त है.
- हनुमान गढ़ी-एक किले के आकार में बना 10वीं शताब्दी का प्राचीन तीर्थ मंदिर है. जो शहर के केंद्र में स्थित है जहां 76 सीढ़ियां चढ़ने के बाद पहुंचा जा सकता है.
- मणि पर्वत-माना जाता है कि 65 फीट ऊंचा मणि पर्वत उस पहाड़ी का एक हिस्सा है जिसमें संजीवनी बूटी (एक औषधीय जड़ी बूटी) थी, जो तब गिरी थी जब भगवान राम के भाई लक्ष्मण को घायल अवस्था से बचाने के लिए हनुमान जी उसे लंका ले जा रहे थे.
- नागेश्वर नाथ मंदिर- अयोध्या के इष्टदेव भगवान नागेश्वरनाथजी हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने उन्हें समर्पित यह सुंदर मंदिर बनवाया था. यहां विराजित शिवलिंग काफी प्राचीन बताया जाता है.
- तुलसी स्मारक भवन-महान संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में निर्मित, इस स्मारक में अयोध्या शोध संस्थान है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास जी पर साहित्यिक कार्यों का एक बड़ा संग्रह है.
- सरयू नदी-उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख जलद्वार में से एक, सरयू नदी का जिक्र वेद और रामायण जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है.
- राम की पैड़ी-सरयू नदी के तट पर घाटों की एक सीरीज स्थापित की गई है जो यहां आने वाले भक्तों के लिए अपने पाप धोने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करती है.
- सूरजकुंड-अयोध्या से 4 किमी की दूरी पर, दर्शन नगर क्षेत्र में चौदह कोशी परिक्रमा मार्ग पर स्थित, सूरज कुंड घाटों से घिरा एक बड़ा तालाब है जो आगंतुकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है.
- राम कथा संग्रहालय- इसमें भगवान राम के जीवन से संबंधित चित्रों, तस्वीरों और कलाकृतियों का उत्कृष्ट संग्रह है. पेंटिंग, तस्वीरों और कलाकृतियों के असाधारण संग्रह के साथ, राम कथा म्यूजियम आगंतुकों को भगवान राम के जीवन की एक आकर्षक जर्नी पर ले जाता है.
- घाट और कुंड-अयोध्या के कुछ सबसे महत्वपूर्ण घाटों और कुंडों में राज घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, जानकी घाट, नया घाट, ब्रह्मकुंड घाट, स्वर्गद्वार घाट, राम-की-पैड़ी और सूरज कुंड, विभीषण कुंड, दंत धवन कुंड, विद्या कुंड शामिल हैं. अन्य दर्शनीय स्थलों में अमावां मंदिर, मगयानंदजी मंदिर, लक्ष्मण किला, दशरथ महल, कौशल्या भवन, कैकेयी भवन, राज गद्दी, लव-कुश मंदिर, काले रामजी मंदिर, श्री राम-जानकी बिड़ला मंदिर, जानकी महल, वाल्मिकी रामायण भवन शामिल हैं.
- भरत कुंड -अयोध्या के दक्षिण में, प्रयागराज मार्ग के किनारे, भरत कुंड है, जिसे नंदीग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह स्थान रामायण महाकाव्य के साथ अपने दोहरे जुड़ाव के लिए महत्व रखता है.