माले : ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज का प्रभाव दुनियाभर के देशों पर पड़ रहा है. यही वजह है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर की वजह से तटीय इलाकों में से एक मालदीव के समंदर में डूबने का खतरा बढ़ रहा है.
बता दें कि बड़े-बड़े ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं, इस कारण समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. इसमें सबसे अधिक असर द्वीपीय देशों और तटीय इलाकों पर हो रहा है. ऐसा होने से मालदीव के समुद्र में डूबने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. गौरतलब है कि द्वीपीय देश ऐसे देश होते हैं जिनका मुख्य क्षेत्र एक या एक से अधिक द्वीपों पर होता है. भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं.
मालदीव के अधिकतर इलाकों की समुद्र तल से ऊंचाई सिर्फ एक मीटर
धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले मालदीव में 1200 द्वीप हैं और इनकी 900 किलोमीटर लंबी चेन है. मालदीव के अधिकतर इलाकों की समुद्र तल से ऊंचाई सिर्फ एक मीटर मतलब 3.3 फीट ही है, जो सबसे कम समुद्र तल वाले देशों में शामिल है. इतना ही नहीं मालदीव को बचाने के लिए अमेरिका का संस्थान एमआईटी, सेल्फ असेंबली लैब के साथ मालदीव का संगठन इन्वेना एक से अधिक प्राकृतिक समाधान की दिशा में काम कर रहा है. इतना ही नहीं उनके द्वारा पानी के अंदर डूब जाने वाले ढांचे का प्रयोग करके द्वीपों को बचाने के लिए सावधानी से चुने गए स्थानों पर रेत को जमा करने के लिए समुद्र की शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं.