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ईरान पर जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा इजराइल ? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट - middle East latest

Iran Israel Conflict : इजराइल ने इस महीने की शुरुआत में सीरिया में अपने मिशन पर बमबारी के जवाब में पिछले हफ्ते ईरान के हवाई हमलों पर जवाबी कार्रवाई शुरू नहीं की है. अमेरिका ने इजराइल को स्पष्ट कर दिया है कि वह ईरान के खिलाफ किसी भी जवाबी हमले में यहूदी राष्ट्र का समर्थन नहीं करेगा. अमेरिका ने इस बार इजराइल को समर्थन क्यों नहीं दिया और इजराइल की भविष्य की कार्रवाई क्या हो सकती है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां ने एक्सपर्ट से बात की.

Iran Israel Conflict
बाइडेन ने किया नेतन्याहू को फोन

By Aroonim Bhuyan

Published : Apr 18, 2024, 3:58 PM IST

नई दिल्ली:ईरान ने 1 अप्रैल को सीरिया में अपने मिशन पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पिछले हफ्ते इजराइल को निशाना बनाकर 300 से अधिक ड्रोन, क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इसके बाद दुनिया सकते में आ गई.

दुनिया के एक हिस्से में रूस-यूक्रेन और गाजा में इजराइल-हमास युद्ध चल रहा है, ऐसे में इजराइल द्वारा ईरान को निशाना बनाकर संभावित जवाबी कार्रवाई के विनाशकारी परिणाम हो सकते थे. हालांकि,खबर लिखे जाने तक इजराइल ने ऐसा नहीं किया है. और पूरी सम्भावना है कि निकट भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा.

1 अप्रैल को एक इजराइली हवाई हमले ने सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास से सटे ईरानी वाणिज्य दूतावास की इमारत को नष्ट कर दिया थी. इस हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ कुद्स फोर्स कमांडर ब्रिगेडियर, जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी और सात अन्य आईआरजीसी अधिकारी सहित 16 लोग मारे गए.

जनवरी 2020 में बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिकी ड्रोन हमले में कुद्स फोर्स के तत्कालीन प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद जाहेदी सबसे वरिष्ठ ईरानी अधिकारी थे, जो आईआरजीसी डिवीजन मुख्य रूप से बाहरी और गुप्त सैन्य अभियानों के लिए जिम्मेदार थे.

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इजराइल ने दावा किया कि सीरिया में जिस इमारत पर हमला किया गया वह न तो ईरानी वाणिज्य दूतावास था और न ही दूतावास, बल्कि कुद्स फोर्स की एक सैन्य इमारत थी जो 'दमिश्क में एक नागरिक संरचना के रूप में थी.' इजराइल ने अमेरिका से कहा कि ईरान के जवाबी हमले पर इजराइल की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया होगी. हालांकि 13 अप्रैल को ईरानी सेना ने हवाई हमला किया, जिसमें इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं. इसमें कम से कम 170 हवाई ड्रोन, 30 क्रूज मिसाइलें और 120 बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल थीं.

ईरान ने दावा किया कि यह हमला इतिहास का सबसे बड़ा एकल ड्रोन हमला था. वहीं, इजराइल ने दावा किया कि सहयोगियों के समर्थन से उसकी हवाई सुरक्षा ने आने वाले लगभग सभी हथियारों को उनके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया.

ईरान की चेतावनी और अमेरिका की शर्तें : इजराइल पर अपना हवाई हमला शुरू करने से पहले ईरान ने तुर्की को अपनी कार्ययोजना के बारे में सूचित किया. क्लैश रिपोर्ट के 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट में एक तुर्की सूत्र के हवाले से कहा गया था, 'ईरान ने अमेरिका को पहले ही बता दिया था कि क्या होगा.' अमेरिका ने हमारे माध्यम से ईरान को संदेश दिया कि यह प्रतिक्रिया निश्चित सीमा के भीतर होनी चाहिए. इसके जवाब में ईरान ने कहा कि यह प्रतिक्रिया दमिश्क में उसके दूतावास पर इजराइल के हमले का जवाब होगा और वह इससे आगे नहीं जाएगा.

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क्लैश रिपोर्ट पोस्ट के मुताबिक, यूएस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के निदेशक विलियम बर्न्स ने तुर्की नेशनल इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन (एमआईटी) के प्रमुख इब्राहिम कालिन को ईरान और इजराइल के बीच मध्यस्थता करने के लिए कहा.

ईरानी हमले के बाद बाइडेन ने किया नेतन्याहू को फोन :अमेरिकी समाचार वेबसाइट एक्सियोस ने व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 13 अप्रैल को एक टेलीफोन कॉल के दौरान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा कि अमेरिका ईरान के खिलाफ किसी भी इजराइली जवाबी हमले का समर्थन नहीं करेगा. अधिकारी के मुताबिक, बाइडेन ने नेतन्याहू से कहा, ' यू गॉट ए विन, टेक द विन.'

एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि जब बाइडेन ने नेतन्याहू से कहा कि अमेरिका ईरान के खिलाफ किसी भी आक्रामक अभियान में भाग नहीं लेगा और ऐसे अभियानों का समर्थन नहीं करेगा, तो नेतन्याहू ने कहा कि वह समझ गए हैं.

बाइडेन ने इजराइली प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के बाद जारी एक बयान में कहा, 'मैंने उनसे (नेतन्याहू से) कहा कि इजराइल ने अपने दुश्मनों को एक स्पष्ट संदेश देते हुए कि वे प्रभावी रूप से इजराइल की सुरक्षा को खतरा नहीं पहुंचा सकते. अभूतपूर्व हमलों से भी बचाव करने और उन्हें हराने की उल्लेखनीय क्षमता का प्रदर्शन किया है.

इस बार अमेरिका ने इजराइल को समर्थन क्यों रोका? :किंग्स कॉलेज लंदन में किंग्स इंडिया इंस्टीट्यूट के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक में उपाध्यक्ष (अध्ययन और विदेश नीति) हर्ष वी पंत ने ईटीवी भारत को बताया, 'सहयोगी होने का मतलब यह नहीं है कि आप हर समय उसका समर्थन करें.'

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पंत ने कहा कि 'इस क्षेत्र में गुप्त परमाणु क्षमताएं मौजूद हैं, अमेरिका संघर्ष को बढ़ने से रोकना चाहता है. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध भी यहां एक कारक है. पंत ने कहा कि 'अमेरिका कई मोर्चों पर युद्ध नहीं चाहता. यह चुनावी साल है. इसका एक घरेलू राजनीतिक संदर्भ भी है.' उन्होंने कहा कि अमेरिका के अन्य सहयोगियों में भी चिंताएं हैं.

पंत ने कहा 'भारत के लिए भी ये चिंता का विषय है. संघर्ष के बढ़ने से ऐसे समय में ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है.'

इजराइल आगे क्या कर सकता है? :मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के एसोसिएट फेलो और पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ एस सैमुअल सी राजीव ने ईटीवी भारत को बताया, 'ज्यादातर विश्लेषकों का कहना है कि इजराइल जवाबी कार्रवाई करेगा.' राजीव ने कहा कि 'वे ईरान के अंदर या लेबनान या सीरिया जैसे अन्य देशों में ईरानी नागरिकों या संपत्तियों या प्रॉक्सी को चुनिंदा निशाना बना सकते हैं.'

राजीव ने कहा कि 'इसका अनिवार्य रूप से मतलब यह है कि इजराइल यह संदेश देना चाहता है कि जब क्षेत्र में किसी भी शत्रुतापूर्ण शक्तियों के साथ टकराव की बात आती है तो उसका पलड़ा भारी है.'

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