नई दिल्ली : इजराइल पर सात अक्टूबर, 2023 को हुए हमले के मास्टरमाइंड याह्या सिनवार को मार गिराया गया है. इजराइल ने इसकी पुष्टि भी कर दी है. याह्या सिनवार हमास का सबसे खूंखार नेता माना जाता था. उसे खान यूनिस का कसाई भी कहा जाता था.
सात अक्टूबर के हमले में 1200 लोग मारे गए थे, जबकि 251 लोगों का अपहरण कर लिया गया था. इस हमले के बाद इजराइल के सैनिकों ने याह्या सिनवार को जिम्मेदार ठहराया था. उनका कहना था कि इसने ही साजिश रचकर इजराइलियों की हत्या की, इसलिए उसकी मौत तय है, उसे खत्म किया जाएगा.
इजराइल मानता है कि याह्या सिनवार के साथ-साथ इस हमले में मुहम्मद दैफ भी शामिल था. दैफ हमास की सैन्य शाखा में शामिल था. इजराइल का दावा है कि दैफ भी मारा गया. हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
कौन था याह्या सिनवार
याह्या सिनवार को हमास में दूसरे नंबर का नेता माना जाता था. पहले नंबर पर इस्माइल हनिया था. हनिया पहले ही मारा जा चुका है. इजराइली सैनिकों ने जुलाई में उसे मार गिराया था.
इजराइल ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार सात अक्टूबर की घटना के बाद सिनवार लगातार अंडर ग्राउंड रह रहा था. इजराइल के अनुसार वह किसी से भी बात नहीं करता था, क्योंकि उसे उसके लोकेशन को लेकर पकड़े जाने का भय था.
कैंप में हुआ था याह्या सिनवार का जन्म
याह्या सिनवार को पहले अबु इब्राहिम के नाम से जाना जाता था. वह दक्षिणी गाजा पट्टी का रहने वाला था. उसका जन्म गाजा के खान यूनिस के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था. 1948 में याह्या के माता-पिता शरणार्थी बन गए थे. उसे पुश्तैनी इलाके से निकाल दिया गया था. 1948 में इजराइल ने फिलस्तीनी इलाके पर हमला किया था. इस हमले की वजह से हजारों फिलिस्तीनी शरणार्थी बन गए थे और उन्हीं में याह्या का परिवार भी शामिल था.
इस्लामिक कॉलेज से ली डिग्री
सिनवार ने खान यूनिस में ही स्कूल की पढ़ाई की. गाजा के एक इस्लामिक कॉलेज से स्नातक किया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक खान यूनिस में ही याह्या का संपर्क मुस्लिम ब्रदरहुड से हुआ. दरअसल, जिस कैंप में याह्या रहता था, उसी कैंप में मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थक भी रहा करते थे. ऐसा कहा जाता है कि याह्या का व्यवहार तभी से हिंसक हो गया था.
हमास के संस्थापक का बन गया चहेता
रिपोर्ट के अनुसार 1982 में उसकी पहली बार गिरफ्तारी की गई थी. उस पर इस्लामी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा था और इजराइली सैनिकों ने गिरफ्तारी की थी. जेल से छूटने के बाद वह हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन का चहेता बन गया. हमास की स्थापना 1987 में की गई थी.