काठमांडू: नेपाल एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पार्टी सीपीएन-यूएमएल के भी मंत्रियों ने बुधवार को पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से सामूहिक इस्तीफा दे दिया. सीपीएन-यूएमएल के मंत्रियों ने काठमांडू में पीएम प्रचंड से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा.
इससे पहले सीपीएन-यूएमएल ने नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को पद से हटने के लिए 24 घंटे की डेड लाइन दी थी. लेकिन बुधवार को समय सीमा समाप्त होने के बाद पार्टी ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया और इसके बाद मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए.
सीपीएन-यूएमएल के समर्थन वापस लेने से प्रचंड सरकार पर संकट गहरा गया है. हालांकि प्रधानमंत्री प्रचंड ने साफ कर दिया है कि वह इस्तीफा देने के बजाय सदन में अविश्वास मत प्रस्ताव का सामना करेंगे. हालांकि, सीपीएन-यूएमएल के समर्थन वापस लेने से पीएम प्रचंड पर इस्तीफा का दवाब बढ़ सकता है. प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ी पार्टी थी. प्रचंड कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री रघुबीर महासेठ समेत यूएमएल के आठ मंत्री थे.
नेपाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री प्रचंड से इस्तीफे की मांग
इधर, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने बुधवार को प्रधानमंत्री प्रचंड से इस्तीफा देने और नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने की मांग की. काठमांडू में अपने आवास पर पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद देउबा ने मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ी पार्टियों एनसी और यूएमएल ने कहा है कि वे मिलकर नई सरकार बनाएंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री देउबा और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने के लिए बीते सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. वे संसद के शेष कार्यकाल के लिए आधा-आधा समय तक प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए हैं.
275 सदस्यीय नेपाल की प्रतिनिधि सभा (संसद का निचला सदन) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास वर्तमान में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं. निचले सदन में बहुमत का आंकडे 138 है, जबकि दोनों की संयुक्त ताकत 167 है. प्रचंड की पार्टी के पास 32 सीटें हैं.
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