संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को 'सकारात्मक कदम' करार दिया है जिसमें रमजान के महीने के लिए गाजा में तत्काल युद्धविराम की मांग की गई है. भारत ने कहा कि इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण उत्पन्न मानवीय संकट 'बिल्कुल अस्वीकार्य' है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने सोमवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि गाजा में चल रहे संघर्ष से हम बहुत परेशान हैं. मानवीय संकट गहरा गया है और क्षेत्र और उसके बाहर अस्थिरता बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा 25 मार्च को एक प्रस्ताव को अपनाने को 'एक सकारात्मक कदम' के रूप में देखता है. कंबोज ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान चली गई है. उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप मानवीय संकट पूरी तरह से अस्वीकार्य है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली ने संघर्ष में नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है. किसी भी संघर्ष की स्थिति में नागरिक जीवन के नुकसान से बचना जरूरी है. पिछले महीने अपनाए गए यूएनएससी प्रस्ताव में रमजान के महीने के लिए तत्काल युद्धविराम की मांग की गई थी, जिसका सभी पक्षों की ओर से सम्मान किया जाना चाहिए. जिससे एक स्थायी युद्धविराम हो सके.
इसने सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई के साथ-साथ उनकी चिकित्सा और अन्य मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए मानवीय पहुंच की भी मांग की. इस प्रस्ताव को अपनाना इजराइल-हमास संघर्ष में एक सफलता के रूप में सामने आया था जो उस समय पांच महीने से अधिक समय से चल रहा था.
15 देशों की परिषद ने परिषद के 10 गैर-स्थायी निर्वाचित सदस्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें 14 देशों ने पक्ष में मतदान किया, किसी ने भी विरोध में मतदान नहीं किया, और एक स्थायी सदस्य अमेरिका ने मतदान में भाग नहीं लिया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि गाजा पर 'लंबे समय से प्रतीक्षित' प्रस्ताव को लागू किया जाना चाहिए.
हालांकि, 22 मार्च को, परिषद की ओर से प्रस्ताव को अपनाने से ठीक तीन दिन पहले, स्थायी सदस्यों रूस और चीन ने अमेरिका की ओर से गाजा पर पेश किए गए एक अलग प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. अमेरिका के नेतृत्व वाले मसौदे में 'सभी पक्षों के नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्काल और निरंतर युद्धविराम' को 'अनिवार्य' बताया गया था.
बीजिंग और मॉस्को के वीटो ने महासभा में इस शर्त के तहत बहस शुरू कर दी कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र निकाय के अध्यक्ष परिषद में जब भी वीटो किया जाएगा, 10 कार्य दिवसों के भीतर एक बैठक बुलाएंगे. कंबोज ने रेखांकित किया कि संघर्ष पर भारत की स्थिति देश के नेतृत्व द्वारा कई अवसरों पर स्पष्ट रूप से व्यक्त की गई है.
उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों या बंधक बनाने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और 'हमारी स्पष्ट निंदा' के पात्र थे. कंबोज ने कहा कि आतंकवाद के सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ भारत का दीर्घकालिक और समझौता न करने वाला रुख है और हम सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं.