हैदराबाद: इजराइल ने हवाई हमलों ने सोमवार को दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के साथ-साथ राजधानी बेरूत को भी निशाना बनाया. इन हमलों में 490 से ज्यादा लोगों के मारे गए और 1,500 से ज्यादा घायल हुए. 2006 में हिजबुल्लाह के साथ युद्ध के बाद से लेबनान पर यह सबसे घातक इजराइली हमला था.
यह हमला देश में अभी भी इस्तेमाल किए जा रहे हज़ारों पेजर के फटने के कुछ ही दिनों बाद हुआ, जिसमें 32 लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे. लेबनान ने इस हमले के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है.इस बीच व्यापक युद्ध की आशंकाएं और बढ़ गई हैं, क्योंकि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नागरिकों से प्रभावित क्षेत्रों को खाली करने का आग्रह किया है.
इजराइली हमले के कारण 1.10 लाख से ज्यादा लेबनानी और लगभग 60,000 इजराइली विस्थापित हुए हैं. इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष 1982 से चला आ रहा है. मौजूदा स्थिति को समझने के लिए हमें पहले लेबनानी युद्ध पर फिर से नजर डालनी होगी.
पहला लेबनानी युद्ध
मार्च 1978 में पेलेस्टाइन लिब्रेशन ओर्गनाइजेशन (PLO) के सदस्यों ने इजराइल में घुसपैठ की और एक अमेरिकी पर्यटक की हत्या कर दी और एक बस का अपहरण कर लिया. हालांकि, बाद में बस में मौजूद 34 बंधकों की मौत हो गई. जवाबी कार्रवाई में, इजराइली सेना ने आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए लेबनान पर हमला कर दिया. इसके दो महीने बाद इजराइली सेना वापस आ गई, जिससे संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों को इलाके में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई.
हालांकि, इसके बाद भी पीएलओ और इजराइली प्रतिशोध के बीच हिंसा लगातार बढ़ती रही और जुलाई 1981 में अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किया गया युद्ध विराम टूट गया, क्योंकि पीएलओ ने इजराइल, पश्चिमी तट, गाजा और लेबनानी सीमा पर 270 आतंकवादी अभियान चलाए थे, जिसके परिणामस्वरूप 29 इजराइली मारे गए और 300 से अधिक घायल हो गए.
इजराइल के राजदूत की हत्या का प्रयास
जून 1982 में निर्णायक मोड़ तब आया जब एक फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ने ग्रेट ब्रिटेन में इजराइल के राजदूत की हत्या करने का प्रयास किया. जवाब में इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने 6 जून को आतंकवादियों को निशाना बनाकर 'ऑपरेशन पीस फॉर गैलिली' शुरू किया. इजराइली ऑपरेशन की शुरुआती सफलता का उद्देश्य लेबनान से PLO को बाहर निकालना और शांति संधि की स्थापना करना था.