पटना: अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह में 24 अप्रैल से 30 अप्रैल तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के आह्वान पर विश्व टीकाकरण सप्ताहमनाया जाता है. लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से साल 2012 में टीकाकरण सप्ताह की शुरुआत की गई. छोटे बच्चों को जन्म से 7 साल की आयु तक में कई टीका लगाना अनिवार्य है, जिससे बच्चे कई गंभीर बीमारियों से बचते हैं.
टीकाकरण से बढ़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता: टीकाकरण का उद्देश्य होता है कि संबंधित बीमारी के विरुद्ध शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित किया जाए और इसके दुष्प्रभाव से होने वाली मौतों को कम किया जाए. पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि इम्यूनाइजेशन के माध्यम से बीते 50 वर्षों में कई बीमारियों से अनगिनत जिंदगियों को बचाया गया है. इम्यूनाइजेशन का मतलब ही होता है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना. इम्यूनाइजेशन दो प्रकार के होते हैं एक्टिव और पैसिव इम्यूनाइजेशन.
इम्यूनाइजेशन के हैं दो प्रकार: एक्टिव इम्यूनाइजेशन में व्यक्ति के शरीर में ही एंटीबॉडी डेवलप किया जाता है, जबकि पैसे भी इम्यूनाइजेशन में किसी जीव जंतु के शरीर में एंटीबॉडी डेवलप कर उसे मानव शरीर में टीका लगाया जाता है. टीबी के खिलाफ बीसीजी के टीका ने अनगिनत जान बचाई है इसके अलावा ओरल पोलियो वैक्सीन के माध्यम से पोलियो खत्म करने की दिशा में एक बेहतरीन कार्य किया गया है.
एमएमआर वैक्सीन काफी सफल: डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि डीपीटी, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया इत्यादि के खिलाफ वैक्सीन है जिसे पेंटावेलेंट वैक्सीन कहते है. इसका मतलब है की पांच प्रकार की बीमारियों से लड़ने के खिलाफ पांच अलग-अलग वैक्सीन शून्य से 5 वर्ष के बच्चे को एक बार में ही दे दी जाती है. इसके अलावा मीजल्स के खिलाफ एमएमआर वैक्सीन काफी सफल रहा है.
"स्मालपॉक्स कभी गंभीर महामारी हुआ करता था लेकिन आज यह वैक्सीनेशन का ही प्रभाव है कि स्मॉल पॉक्स का नाम खत्म होते जा रहा है. इसके अलावा वायरल फ्लू के भी वैक्सीन उपलब्ध है जो बेहद कारगर है. हर साल संबंधित फ्लो को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन वैक्सीन जारी करता है जो काफी प्रभावशाली होता है."-डॉ दिवाकर तेजस्वी
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए टीका:डॉक्टर का कहना है कि कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन विकसित कर बड़ी आबादी को इम्यूनाइज किया गया, जिससे आज कोरोना महामारी एक सामान्य वायरस की तरह बिहेव कर रही है और इसकी घातकता मानव शरीर पर कम हो गई है. इन सबके अलावा अभी के समय में सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ इम्यूनाइजेशन विकसित किया जा रहा है और इसका ट्रायल अंतिम चरण में है. 15 वर्ष से ऊपर की लड़कियों को इसका टीका ले लेना चाहिए. इसके अलावा अभी के समय टीबी के खिलाफ एक प्रभावशाली वैक्सीन तैयार किया जा रहा है. बीसीजी का टीका कारगर है लेकिन उससे भी अधिक प्रभावशाली वैक्सीन तैयार की जा रही है.
डेंगू के खिलाफ वैक्सीनेशन: आगे उन्होंने बताया कि कई प्रकार के कैंसर के खिलाफ स्वास्थ्य जगत में इम्यूनाइजेशन विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा कई वायरल बीमारियों के खिलाफ भी इम्यूनाइजेशन विकसित किया जा रहा है और इनमें कई का ट्रायल आखिरी चरण में है. भारत में डेंगू वैक्सीन का ट्रायल आखिरी चरण में है जबकि दुनिया के 6 देशों में डेंगू के खिलाफ वैक्सीनेशन आ चुकी है. इसके अलावा एड्स के खिलाफ भी वैक्सीन तैयार की जा रही है
क्या आप भी हैं कोमोरबिडिटी से परेशान: इम्यूनाइजेशन का उद्देश्य ही होता है कि संबंधित बीमारी के खिलाफ मानव शरीर में एंटीबॉडी विकसित किया जाए, ताकि व्यक्ति के लिए वह बीमारी जानलेवा ना बने. जो लोग कोमोरबिडिटी से परेशान हैं, जो हृदय संबंधित समस्या से जूझ रहे हैं अथवा मधुमेह उच्च रक्तचाप किडनी की समस्या है तो वह हर साल डब्ल्यूएचओ के द्वारा प्रिसक्राइब किए गए वैक्सीन को ले सकते हैं.
यू-विन पोर्टल रहा बच्चों के लिए सफल: आज के समय में बच्चों की इम्यूनाइजेशन को बेहतर बनाने के लिए यू-विन पोर्टल उपलब्ध है. इसमें बच्चों के लिए डाटा उपलब्ध रहता है. बिहार और खासकर राजधानी पटना में यह काफी सफल रहा है. इसमें अभिभावक को बच्चों की इम्यूनाइजेशन का कागज लेकर घूमना नहीं पड़ता है. अभिभावक देश के किसी कोने में जाकर अपना आधार कार्ड दिखाकर अपने बच्चों का बच्चा हुआ इम्यूनाइजेशन करा सकते हैं. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों के वैक्सीनेशन का पूरा डाटा उपलब्ध रहता है. कौन सी वैक्सीन ड्यू रह गई है और कौन सी वैक्सीन कब पड़ी है सभी जानकारी उपलब्ध होती है.
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