हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / health

घुटनों, कमर या अन्य क्रॉनिक पेन का रामबाण इलाज, एनेस्थीसिया से मिलेगी दर्द से मुक्ति

वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है. वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे-2024 की थीम "वर्कफोर्स वेलनेस" है.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

WORLD ANESTHESIA DAY 2024
वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे 2024 (ETV Bharat GFX)

शिमला: हर साल 16 अक्टूबर को "वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे" के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मेडिकल साइंस में एनेस्थीसिया के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. मॉर्डन एनेस्थीसिया का पहली बार सफल प्रयोग 16 अक्टूबर 1846 को अमेरिका में हुआ था. इसी कारण हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है.

क्या है एनेस्थीसिया?

IGMC अस्पताल शिमला में एनेस्थीसिया विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कार्तिक स्याल ने बताया"एनेस्थीसिया एक मेडिकल ट्रीटमेंट है जो सर्जरी या कुछ मेडिकल टेस्ट के दौरान मरीज को दिया जाता है. एनेस्थीसिया खासतौर से दर्द को अस्थायी रूप से रोकता है. यह नर्व्स को ब्रेन तक दर्द के संकेत भेजने से रोकता है जिससे मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता. ऐसे में मरीज की सर्जरी बड़े आराम से बिना दर्द के होती है."

वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे 2024 (ETV Bharat)

सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया विभाग का कार्य

सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कार्तिक स्याल ने सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया विभाग के कार्य की जानकारी देते हुए कहा "जब भी कोई सर्जरी होती है तो सर्जन केवल मरीज की सर्जरी पर ध्यान देता है जबकि एनेस्थीसिया विभाग का काम सर्जरी के दौरान मरीज को जिंदा रखने का होता है. सर्जरी के दौरान मरीज को किसी तरह का दर्द ना हो, ऑक्सीजन सही रहे, हार्ट सही चलता रहे, सर्जरी के दौरान मरीज के ब्लड और फ्लूड को देखना और सर्जरी के बाद मरीज को होश में लाना यह सब काम एनेस्थीसिया विभाग का होता है."

एनेस्थीसिया विभाग का पेन मैनेजमेंट रोल

डॉक्टर कार्तिक स्याल ने बताया "पहले केवल सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया मरीज को दिया जाता था लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस में एनेस्थीसिया का प्रयोग किसी भी तरह के दर्द से मरीज को राहत देने के लिए होने लगा है. एनेस्थीसिया का प्रयोग पेन मैनेजमेंट और क्रिटिकल केयर में होता है. इसका इस्तेमाल कैंसर पेन और अन्य क्रॉनिक पेन के लिए किया जाता है. आईजीएमसी शिमला में इसकी ओपीडी हर रोज होती है. वहीं, सप्ताह में एक दिन पेन रिलीफ के लिए मरीजों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं. शरीर के जिस हिस्से में दर्द उठता है उस हिस्से में शरीर की नसों को परमानेंट व 2 से 3 सालों के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है जिससे मरीज को क्रॉनिक पेन से राहत मिलती है और मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार होता है"

एनेस्थीसिया के प्रकार

आईजीएमसी शिमला के एनेस्थीसिया विभाग के HOD सुरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए कहा"विभिन्न प्रकार के एनेस्थीसिया अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं. कुछ एनेस्थेटिक दवाएं आपके शरीर के कुछ हिस्सों को सुन्न करती हैं. वहीं, अन्य एनेस्थेटिक आपके मस्तिष्क को सुन्न कर देती हैं ताकि सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान मरीज को दर्द का एहसास ना हो."

सामान्य एनेस्थीसिया: सामान्य एनेस्थीसिया वह प्रक्रिया जिसका इस्तेमाल बड़ी सर्जरी के लिए किया जाता है. यह पूरे शरीर में बेहोशी और संवेदना की कमी पैदा करता है.

लोकल एनेस्थीसिया: इसका प्रयोग शरीर के किसी खास हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है. लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल अक्सर दांतों के ट्रीटमेंट, हेयर ट्रांसप्लांट और अन्य छोटी प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है.

रीजनल एनेस्थीसिया: शरीर के बड़े हिस्से में संवेदना को रोकने के लिए रीजनल एनेस्थीसिया दिया जाता है. इसका इस्तेमाल अक्सर शरीर के निचले हिस्से की सर्जरी के दौरान किया जाता है.

डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया"करीब 500 मरीज पेन रिलीफ को लेकर एनेस्थीसिया विभाग में आईजीएमसी शिमला में हर महीने में आते हैं. वहीं, एक सप्ताह में करीब 10 मरीजों का पेन रिलीफ को लेकर ऑपरेशन थियेटर में इलाज किया जाता है. वहीं, अन्य को पेन रिलीफ के लिए दवाइयां दी जाती हैं."

ये भी पढ़ें:स्क्रब टाइफस से IGMC में मंडी और कुल्लू की दो युवतियों की मौत

Last Updated : 4 hours ago

ABOUT THE AUTHOR

...view details