शिमला: हर साल 16 अक्टूबर को "वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे" के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मेडिकल साइंस में एनेस्थीसिया के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. मॉर्डन एनेस्थीसिया का पहली बार सफल प्रयोग 16 अक्टूबर 1846 को अमेरिका में हुआ था. इसी कारण हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है.
क्या है एनेस्थीसिया?
IGMC अस्पताल शिमला में एनेस्थीसिया विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कार्तिक स्याल ने बताया"एनेस्थीसिया एक मेडिकल ट्रीटमेंट है जो सर्जरी या कुछ मेडिकल टेस्ट के दौरान मरीज को दिया जाता है. एनेस्थीसिया खासतौर से दर्द को अस्थायी रूप से रोकता है. यह नर्व्स को ब्रेन तक दर्द के संकेत भेजने से रोकता है जिससे मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता. ऐसे में मरीज की सर्जरी बड़े आराम से बिना दर्द के होती है."
सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया विभाग का कार्य
सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कार्तिक स्याल ने सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया विभाग के कार्य की जानकारी देते हुए कहा "जब भी कोई सर्जरी होती है तो सर्जन केवल मरीज की सर्जरी पर ध्यान देता है जबकि एनेस्थीसिया विभाग का काम सर्जरी के दौरान मरीज को जिंदा रखने का होता है. सर्जरी के दौरान मरीज को किसी तरह का दर्द ना हो, ऑक्सीजन सही रहे, हार्ट सही चलता रहे, सर्जरी के दौरान मरीज के ब्लड और फ्लूड को देखना और सर्जरी के बाद मरीज को होश में लाना यह सब काम एनेस्थीसिया विभाग का होता है."
एनेस्थीसिया विभाग का पेन मैनेजमेंट रोल
डॉक्टर कार्तिक स्याल ने बताया "पहले केवल सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया मरीज को दिया जाता था लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस में एनेस्थीसिया का प्रयोग किसी भी तरह के दर्द से मरीज को राहत देने के लिए होने लगा है. एनेस्थीसिया का प्रयोग पेन मैनेजमेंट और क्रिटिकल केयर में होता है. इसका इस्तेमाल कैंसर पेन और अन्य क्रॉनिक पेन के लिए किया जाता है. आईजीएमसी शिमला में इसकी ओपीडी हर रोज होती है. वहीं, सप्ताह में एक दिन पेन रिलीफ के लिए मरीजों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं. शरीर के जिस हिस्से में दर्द उठता है उस हिस्से में शरीर की नसों को परमानेंट व 2 से 3 सालों के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है जिससे मरीज को क्रॉनिक पेन से राहत मिलती है और मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार होता है"