हैदराबाद: एडिक्शन किसी भी प्रकार का हो बुरा ही माना जाता है. उस पर यदि एडिक्शन इस कदर तक बढ़ जाए की वह पीड़ित के स्वास्थ्य के साथ उसके सामाजिक व निजी जीवन को खराब करने लगे या उसे हिंसा के लिए प्रेरित करने लगे तो वह मानसिक बीमारी बन जाता है. सेक्स एडिक्शन भी एक मनोविकार है जिसे हाइपरसेक्सुअलिटी, हाइपरसेक्सुअल डिसऑर्डर, यौन बाध्यता, यौन आवेग और यौन लत विकार के नाम से भी जाना जाता है. इस मनोविकार में व्यक्ति की यौन इच्छाएं इतनी तीव्र हो जाती हैं कि उसके दिमाग में अधिकांश समय सेक्स से जुड़े विचार ही आते रहते हैं. वहीं समस्या के बढ़ने पर पीड़ित सेक्स हिंसा, दूसरों के साथ हिंसा और यहां तक की सेक्स क्राइम जैसे रेप जैसे व्यवहार भी करने लगता है.
प्रभाव :देहरादून उत्तराखंड की मनोचिकित्सक डॉ दिव्या घई बताती हैं कि सेक्स एडिक्शन एक गंभीर मनोविकार है जिसमें व्यक्ति अपनी यौन इच्छाओं पर काबू नहीं रख पाता है. इस मनोविकार में पीड़ित में सेक्स या उससे जुड़े विचार इतने तीव्र हो जाते हैं कि वे किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं. साथ ही उनके विचारों का असर उनके हावभाव व व्यवहार पर भी नजर आने लगता है. इस मनोविकार से पीड़ित व्यक्ति में दूसरों के साथ छेड़छाड़ करने या गलत ढंग से छूने, अश्लील व्यवहार करने, एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर रखने, महिला या पुरुष सेक्स कर्मियों के ज्यादा संपर्क में आने, ज्यादा पोनोग्राफिक मूवीज देखने तथा बहुत ज्यादा हस्तमैथुन जैसी प्रवत्ति देखने में आती है. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति में अश्लील साहित्य पढ़ने या देखने तथा फोन या कंप्यूटर के माध्यम से वर्चुअल सेक्स की लत भी विकसित होने लगती है. वहीं समस्या अगर ज्यादा बढ़ जाए तो कई बार एडिकटिड लोग ना सिर्फ अपने पार्टनर के साथ बल्कि दूसरों के साथ भी जबरन सेक्स, हिंसात्मक सेक्स और यहां तक की सेक्स क्राइम के लिए भी प्रेरित हो जाते हैं.
वह बताती हैं की इस मनोविकार से पीड़ित व्यक्ति के काम, परिवार और अन्य जिम्मेदारियों पर भी इस एडिक्शन का काफी प्रभाव पड़ता है. कई बार इस एडिक्शन से पीड़ित व्यक्ति के हावभाव व व्यवहार में अश्लीलता तथा असामान्यता के चलते दूसरे लोग उससे दूरी बनाने लगते हैं, साथ ही उससे गुस्से तथा घृणा भरा व्यवहार भी करने लगते हैं जिससे उसके कामकाज पर तो असर पड़ता ही है साथ ही उसमें हीनता की भावना भी विकसित होने लगती है. इस एडिक्शन का असर पीड़ित के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है जैसे उसके खाने-पीने की इच्छा कम हो सकती है, जो उसे रोगों को लेकर संवेदनशील बना सकती है. वहीं एक से ज्यादा पार्टनर या सेक्स कर्ताओं के ज्यादा संपर्क में आने के कारण उनमें कम या ज्यादा गंभीर यौन संक्रमण व रोग भी विकसित हो सकते हैं. जिसका असर उनसे सम्पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.
सेक्स की निरंतर इच्छा आम तौर पर पीड़ित में अफसोस, चिंता, अवसाद या शर्म की भावनाओं से भी जुड़ी होती है. ऐसे में जब पीड़ित व्यक्ति अपनी यौन इच्छाओं पर काबू रखने असमर्थ होने लगता है तो कई बार उनके डिप्रेशन में जाने की संभावना भी बढ़ जाती है. जिससे कई बार उनमें आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने जैसे विचार आने की आशंका भी रहती है.
वह बताती हैं की सेक्स एडिक्शन किसी भी वर्ग , यानी उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग के लोगों में हो सकता है. वहीं महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह समस्या ज्यादा देखने में आती हैं.