हैदराबाद :गतिहीन जीवनशैली, खान-पान, तनाव आदि कई कारणों से आजकल स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नीम जुड़ी चीजें औषधि की तरह काम करती हैं. नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-अल्सर, एंटी-मलेरिया, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-म्यूटाजेनिक, एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं. नीम में विटामिन ए, सी, कैरोटीनॉयड, ओलिक, लिनोलिक जैसे यौगिक होते हैं.
लीवर स्वास्थ्य व कब्ज की समस्या :विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह नीम की पत्तियां खाने से लीवर स्वस्थ रहता है. कहा जाता है कि नीम के सूजन-रोधी गुण मुक्त कणों के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और लीवर को स्वस्थ रखते हैं. इसके अलावा, नीम की पत्तियां रक्त को शुद्ध करने, रक्त से अशुद्धियों को दूर करती हैं. खराब जीवनशैली व खान-पान के कारण कब्ज से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से पीड़ित लोगों के लिए नीम एक औषधि की तरह काम करता है. ऐसा कहा जाता है कि नीम की पत्तियों में मौजूद फाइबर मल त्याग को बेहतर बनाता है और पेट फूलने की समस्या से भी राहत दिलाता है.
शुगर नियंत्रण: विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में नीम एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर आप रोजाना नीम की पत्तियां खाते हैं या नीम की पत्तियों का पाउडर लेने से, नीम की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीते हैं तो ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है. 2009 में "फाइटोथेरेपी रिसर्च" पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि मधुमेह से पीड़ित लोग, जिन्होंने 12 सप्ताह तक प्रतिदिन 2 ग्राम नीम पाउडर लिया, उनके रक्त शर्करा (एफबीएस), एचबीए1सी स्तर और ट्राइग्लिसराइड स्तर में काफी कमी आई. इस शोध में राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, बेंगलुरु में फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सी.के. राज ने भाग लिया.
आंतों के संक्रमण को रोकता है : विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप खाली पेट नीम खाते हैं, तो आंतों की प्रणाली स्वस्थ रहेगी और आहार नली रोगजनकों से सुरक्षित रहेगी. बदलती जीवनशैली, खान-पान की आदतों के कारण कई लोग आंतों के संक्रमण से पीड़ित हो रहे हैं. अगर वे खाली पेट नीम की पत्तियां खाते हैं.. तो उन्हें इस समस्या से राहत और सुरक्षा मिल सकती है.
मसूड़ों की समस्या के लिए :विशेषज्ञों का कहना है कि मसूड़ों में सूजन, मसूड़ों से खून आना और सांसों की दुर्गंध से पीड़ित लोगों को नीम चबाने से फायदा हो सकता है. 2015 में "जर्नल ऑफ क्लिनिकल पेरियोडोंटोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि नीम चबाने वालों में मसूड़ों की सूजन और रक्तस्राव काफी कम हो गया था.