हैदराबाद : प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ की जयंती की याद में राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस मनाया जाता है. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने इसकी शुरुआत की थी. भारत में फार्मेसी शिक्षा की स्थापना में प्रो. लाल की बड़ी भूमिका थी. उनकी भूमिका का सम्मान करने के लिए 6 मार्च को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस मनाया जाता है.
भारत में फार्मेसी शिक्षा के जनक
प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ, भारत में फार्मेसी शिक्षा के जनक के तौर पर जाने जाते हैं. वह निश्चित रूप से इस देश में काम करने वाले सभी फार्मासिस्टों के लिए उनकी शाखाओं और कर्तव्यों की विविधता के बावजूद एक आदर्श बने हुए हैं. उन्होंने भारत में फार्मेसी शिक्षा के निर्माण में महान भूमिका निभाई, उन्होंने फार्मेसी पेशे के अन्य पहलुओं के विकास में भी योगदान दिया. प्रोफेसर श्रॉफ ने अपने प्रयासों से 1940 में बी.एच.यू. में एम.फार्मा की शिक्षा प्रारम्भ की थी. धीरे-धीरे भारत में विभिन्न स्थानों पर फार्मेसी शिक्षा का प्रसार हुआ. बता दें किमहादेव लाल श्रॉफ का जन्म बिहार के दरभंगा शहर में 6 मार्च 1902 को हुआ था. 25 अगस्त 1971 को उनका निधन हुआ था.
फार्मेसी शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप
- फार्मेसी सेवाओं को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाना है.
- न्यायसंगत और सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देता है.
- फार्मेसी पेशेवरों को नवीनतम शोध से अवगत रहने के लिए प्रोत्साहित करें और फार्मासिस्टों को क्षेत्र में प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित करें.
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक संस्था है. फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत इसका गठन देश में फार्मेसी शिक्षा और पेशेवरों को विनियमित करने के लिए किया गया था. पीसीआई का गठन फार्मेसी अधिनियम की धारा 3 के तहत 9 अगस्त 1949 को किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य फार्मेसी अधिनियम के तहत फार्मेसी शिक्षा को रेगुलेट करना, फार्मासिस्टों का पंजीकरण, फार्मासिस्टों के प्रैक्टिस पर नजर रखना.
भारत में फार्मेसी शिक्षा का वर्तमान परिदृश्य:
फार्मास्युटिकल शिक्षा किसी देश के सतत और न्यायसंगत विकास को प्राप्त करने में बहुत प्रमुख भूमिका निभाती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान में फार्मेसी की शिक्षा और प्रैक्टिस के बीच बहुत बड़ा अंतर है. फार्मेसी शिक्षा का समग्र आधार अभी भी एक्स्ट्राबायोलॉजिकलसिंथेसिस, भौतिक रासायनिक अध्ययन, विश्लेषण और दवा के विनिर्माण पहलू हैं. एक उभरते विज्ञान के रूप में फार्मेसी पिछली सदी में इसी तरह विकसित हुई. 1940-50 के दशक के दौरान भारत में बड़ी संख्या में अस्पताल और उद्योग स्थापित किये गये. परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में फार्मासिस्टों और फार्मास्युटिकल केमिस्टों की आवश्यकता थी. इसलिए उद्योग और अस्पताल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए फार्मेसी शिक्षा का विकास किया गया.
अल्पकालिक कंपाउंडर और या डी. फार्म. अस्पताल और मेडिकल दुकानों और बी.फार्मा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम है. उद्योग के लिए पाठ्यक्रम शुरू किये गये. पश्चिम में, फार्मेसी शिक्षा रोगी-उन्मुख है और हेल्थकेयर प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, जबकि भारत में फार्मेसी शिक्षा उद्योग-उन्मुख है. लगभग 55 प्रतिशत नौकरियां उद्योग क्षेत्र में जबकि 30 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र में उपलब्ध हैं. स्वास्थ्य सेवा में केवल तीन प्रतिशत नौकरियां हैं.
राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग विधेयक 2023 :
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग विधेयक 2023 पेश करने का प्रस्ताव दिया है. इस विधायी प्रयास का उद्देश्य राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग की स्थापना करना है, जो फार्मेसी अधिनियम, 1948 द्वारा परिभाषित मौजूदा ढांचे से हटकर है. प्रस्तावित विधेयक फार्मेसी शिक्षा प्रणाली को बढ़ाने की दिशा में एक व्यापक दृष्टिकोण पर जोर देता है. मसौदा विधेयक गुणवत्तापूर्ण और किफायती फार्मास्युटिकल शिक्षा तक पहुंच में सुधार पर जोर देता है. यह देश भर में अत्यधिक कुशल फार्मेसी पेशेवरों की उपलब्धता पर भी जोर देता है. विधेयक प्रकाशित हो चुका है और अब सार्वजनिक जांच और टिप्पणी के लिए उपलब्ध है.