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क्या सच में मोबाइल फोन से हो सकता है ब्रेन कैंसर? जान लें सच्चाई, WHO ने दे दिया जवाब - Brain Cancer

By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 5, 2024, 12:56 PM IST

Brain Cancer : मोबाइल फोन का मस्तिष्क कैंसर से कोई संबंध नहीं, अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नियुक्त ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने 1994 से 2022 तक के 63 अध्ययनों का विश्लेषण किया है. पढ़ें पूरी खबर...

Brain Cancer
क्या सच में मोबाइल फोन से हो सकता है ब्रेन कैंसर? (Getty Images)

हैदराबाद: क्या मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर होने की संभावना होती है? इस विषय पर कई वर्षों से शोध चल रहा है. इसे लेकर कुछ भ्रांतियां हैं. सीमित आंकड़ों के साथ अतीत में प्रकाशित कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि मोबाइल फोन की रेडियो तरंगों से ग्लियोमा ट्यूमर बनने की संभावना है जो ब्रेन कैंसर का कारण है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक हालिया अध्ययन ने इन भ्रांतियों को खारिज कर दिया है.

यह शोध WHO की ओर से ऑस्ट्रेलियाई विकिरण सुरक्षा और परमाणु सुरक्षा एजेंसी (ARPANSA) द्वारा किया गया था. इस एजेंसी ने एक व्यापक अध्ययन किया है जिसमें बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण किया गया. इसके साथ ही निष्कर्ष निकाला गया कि मोबाइल फोन के उपयोग और ब्रेन कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं है. बता दें, लगभग 5 हजार अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है.

अध्ययन में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में वायरलेस टेक्नॉलॉजी तेजी से बढ़ी है, लेकिन ब्रेन कैंसर के मामले उस दर से नहीं बढ़े हैं. मई 2011 में, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने एक अध्ययन प्रकाशित किया. जिसमें कहा गया कि रेडियो तरंगों के संपर्क में आने से कैंसर होने की संभावना होती है. यह भी कहा गया कि ग्लियोमा ट्यूमर जो मस्तिष्क कैंसर का कारण है, जो वायरलेस फोन के इस्तेमाल से बन सकता है.

आपको बता दें कि उस शोध के साक्ष्य सीमित हैं. वह अध्ययन सीमित आंकड़ों के साथ प्रकाशित हुआ था. ताजा शोध में, ARPANSA ने भारी मात्रा में डेटा का विश्लेषण किया. इस विषय पर हाल ही में हुए सभी अध्ययनों को ध्यान में रखा गया है और गहनता से जांच की गई. बाद में, यह स्पष्ट किया गया कि वायरलेस तकनीक से निकलने वाली रेडियो तरंगें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं.

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो तरंगों और मस्तिष्क से संबंधित अन्य कैंसर से ग्लियोमा ट्यूमर के मस्तिष्क कैंसर होने की कोई संभावना नहीं है. यह अध्ययन एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ.

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