आज के मॉर्डन समय में पैरालिसिस की समस्या से बहुत आम हो गई है. इस बीमारी से बहुत से लोग परेशान भी हैं. बता दें, लकवा एक एयर सिकनेस है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं. इस बीमारी के कारण इंसान का शरीर काम करने में असमर्थ हो जाता है और व्यक्ति बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है. वैसे तो ज्यादातर उम्र बढ़ने और शरीर में बीमारियों होने पर लकवा मारने का खतरा रहता है. हालांकि, आजकल युवा लोगों में भी ये समस्या काफी बढ़ रही है. अनियमित खानपान, खराब जीवनशैली खराब तनाव, आज के भागदौड़ भरी जिंदगी और कुछ अनचाही बीमारियां इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है. आपने ज्यादातर बुजुर्गों में लकवा की स्थिति देखी होगी, लेकिन आजकल लकवा मारने का खतरा अधिकांश लोगों में काफी बढ़ गया है.
लकवा क्या होता है?
लकवा मांसपेशियों की बीमारी है, जब शरीर के किसी एक हिस्से की मासपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, तो उसे लकवा मारना कहते हैं. लकवे के दौरान लकवा ग्रस्त व्यक्ति शरीर की एक या उससे अधिक मांसपेशियों को हिलाने में सामर्थ नहीं होता है. बता दें, लकवा शरीर के किसी एक हिस्से में हो सकता है या पुरे शरीर में भी हो सकता है. इसमें शरीर के लकवा ग्रस्त हिस्से और मस्तिष्क में ठीक से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है. इसेब्रेन स्ट्रोकभी कहा जाता हैं. इस स्थिति में अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में डैमेज होने या ब्लड सप्लाई रुकने पर एक तरफ के अंग काम करना बंद कर देते हैं. बता दें, लकवा का मारना यह अस्थायी या स्थायी हो भी सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है.
क्या कहती है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पैरालिसिस से वैश्विक मृत्यु दर का दूसरा स्थान है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरालिसिस के अनुसारहर मिनट में एक व्यक्ति पक्षाघात से पीड़ित है. भारत में इनमें से 90 फीसदी मामलों में समय पर इलाज की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है. यदि किसी को पैरालिसिस (लकवा) पड़ता है तो दौरा पड़ने के 4 से 6 घंटे के बीच उचित इलाज दिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है. यह समय इलाज देने के लिए पर्याप्त होता है. उपचार को एक अच्छे समय में प्रदान करके उस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है, जिसमें मस्तिष्क कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं. यदि पक्षाघात वाले व्यक्ति को एक घंटे के भीतर उपचार मिलता है, तो निश्चित रूप से वह जल्द ही ठीक हो सकता है.
लकवा के बारे में पहले से कुछ पता नहीं चल पाता है ये सिर्फ कुछ मिनटों में ही शरीर को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पैरालिसिस की समस्या से बचने और उससे पीड़ित होने से बेहतर है कि यहां दी गई कुछ सावधानियां बरती जाएं...
लकवा की समस्या से बचने के उपाय
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें: विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, यह सुनिश्चित करना उचित है कि ब्लड प्रेशर 120/80 से अधिक न हो. यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई है, तो आहार और व्यायाम से इसे कम करने का प्रयास करें. यदि फिर भी स्थिति नियंत्रण में न आए तो दवा लेने की सलाह दी जाती है. यह बात 2019 में द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन “स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक: एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण”में भी पाई गई थी.
हार्ट डिजीज का पता लगना चाहिए: विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट डिजीज के कारण स्ट्रोक का खतरा 5 गुना अधिक होता है. यदि हृदय तेज और अनियमित रूप से धड़क रहा है, तो यह सलाह दी जाती है कि आप डॉक्टर से परामर्श लें और इसका कारण पता करें.
तनाव के कारण समस्याएं: तनाव शरीर में समस्याएं पैदा कर सकता है, इससे पैरालिसिस का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि तनाव को कम करने का प्रयास करना करें. यदि आप ऑफिस में काम से तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपनी कुर्सी से उठें, गहरी सांस लें और थोड़ी देर टहलने जाएं. एक ही समय में कई कार्य करने के बजाय, एक कार्य पूरा करके दूसरा कार्य शुरू करना चाहिए. कार्य का माहौल शांत रखना चाहिए. यदि संभव हो तो घर पर भी छोटे पौधे उगाए जा सकते हैं. जितना संभव हो सके परिवार के साथ समय बिताएं.