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गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है रूमेटाइड अर्थराइटिस, जागरूकता जरूरी - Rheumatoid Patient Foundation

ऑटोइम्यून रोग रूमेटाइड अर्थराइटिस को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 2 फरवरी को ‘रुमेटाइड अर्थराइटिस जागरूकता दिवस/गठिया जागरूकता दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर... Rheumatoid arthritis . Rheumatoid Arthritis Awareness Day . Arthritis

Rheumatoid Arthritis Awareness Day
रूमेटाइड अर्थराइटिस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 2, 2024, 1:26 PM IST

Updated : Feb 9, 2024, 8:02 AM IST

हैदराबाद: रूमेटाइड अर्थराइटिस/गठिया या आरए एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जो पीड़ित के जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इसके चलते ना सिर्फ पीड़ित को जोड़ों में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है बल्कि सही समय पर इलाज तथा सही प्रबंधन के अभाव में यह पीड़ित में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. आमजन में Rheumatoid Arthritis के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 2 फरवरी को ‘रुमेटाइड अर्थराइटिस / आरए जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन "आरए के साथ अच्छी तरह से रहना: प्रारंभिक निदान, प्रभावी प्रबंधन और एक उज्जवल भविष्य" थीम पर मनाया जा रहा है.

क्या है रुमेटाइड अर्थराइटिस :उत्तराखंड देहरादून के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी बताते हैं कि Rheumatoid Arthritis एक क्रोनिक ऑटोइम्यून इंफ्लामेटरी रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों के आसपास मौजूद झिल्लियों की परत पर हमला करने लगती है. जिससे उनमें सूजन, अकड़न, दर्द और कठोरता जैसी समस्याएं होने लगती है. रूमेटाइड अर्थराइटिस हाथ व पैर सहित शरीर के लगभग सभी जोड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ कई बार शरीर की आंतरिक प्रणालियों व अंगों , त्वचा, आंख, फेफड़ों तथा हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकती है. रुमेटाइड अर्थराईटिस की शुरुआत में पीड़ित में जोड़ों में दर्द व हल्की सूजन के साथ लगातार थकान, जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी, हल्का बुखार आना और भूख न लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन गंभीर अवस्था में यह रोग ना सिर्फ पीड़ित के जोड़ों में असहनीय दर्द का कारण बनने लगता है बल्कि इसके चलते उनकी सामान्य दिनचर्या में समस्याओं व असुविधाओं के बढ़ने का कारण भी बनने लगता है. यही नहीं समस्या ज्यादा गंभीर होने पर यह जोड़ों में संयुक्त विकृति या विकलांगता का कारण भी बन सकता है.

वह बताते हैं कि लेकिन रुमेटाईड अर्थराईटिस किसी को भी हो सकता है. इनमें 16 वर्ष से लेकर 40 वर्ष की तक आयु में होने वाली रूमेटाइड अर्थराइटिस को यंग-ऑनसेट रुमेटॉइड आर्थराइटिस तथा 60 वर्ष की आयु के बाद होने वाली Rheumatoid Arthritis को लेट-ऑनसेट रुमेटाइड कहा जाता है. डॉ जोशी बताते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या आमतौर पर महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है. वहीं इसके लिए जिम्मेदार कारकों में आनुवंशिकता भी एक हो सकती है. वह बताते हैं कि हालांकि इस रोग के प्रभाव में आने के बाद इसका शत प्रतिशत इलाज ज्यादातर मामलों में संभव नहीं हो पाता है , लेकिन शुरुआती जांच के बाद समय से दवा, उपचार व थेरेपी शुरू कर देने तथा चिकित्सकों के निर्देशों का सही पालन करने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है तथा इसके गंभीर प्रभावों से बचा जा सकता है.

रूमेटाइड अर्थराइटिस जागरूकता दिवस

गौरतलब है कि वर्ष 2011 में रूमेटाइड अर्थराइटिस को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से समर्पित रोगियों के एक समूह द्वारा रूमेटाइड पेशेंट फाउंडेशन (आरपीएफ) का गठन किया गया था. जिसके बाद वर्ष 2013 में आरपीएफ द्वारा आधिकारिक तौर पर 2 फरवरी को Rheumatoid Arthritis /गठिया जागरूकता दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी.

रूमेटाइड अर्थराइटिस/गठिया जागरूकता दिवस पर रोग के लक्षणों, कारणों, उपचार के विकल्पों तथा रोग के सही प्रबंधन को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के साथ , इसके बेहतर इलाज की दिशा में अनुसंधानों व शोधों को बढ़ाने के लिए लोगों व संस्थाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से वैश्विक स्तर पर कई स्वास्थ्य व सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, शैक्षिक अभियानों तथा सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

Last Updated : Feb 9, 2024, 8:02 AM IST

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