न्यूयॉर्क : भारतीय मूल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए शोध से यह बात सामने आई है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग यानि हर कुछ दिन पर उपवास करने से एक अच्छा और लंबा जीवन जिया जा सकता है.कैलिफोर्निया में बक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एजिंग के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 'ओएक्सआर1' नामक जीन की भूमिका पाई है जो आहार प्रतिबंध के साथ देखे जाने वाले जीवनकाल के विस्तार और स्वस्थ मस्तिष्क उम्र बढ़ने के लिए आवश्यक है.
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि ओएक्सआर1 जीन उम्र बढ़ने और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचाने वाला एक महत्वपूर्ण मस्तिष्क लचीलापन कारक है. संस्थान में पोस्टडॉक्टरल छात्र केनेथ विल्सन ने कहा, 'जब लोग कम भोजन करते हैं, तो वे आमतौर पर सोचते हैं कि यह उनके पाचन तंत्र या वसा के निर्माण को प्रभावित कर सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह मस्तिष्क को प्रभावित करे. अब यह पता चला है, यह एक जीन है जो मस्तिष्क में काफी महत्वपूर्ण है.
टीम ने इसके अतिरिक्त एक विस्तृत सेलुलर तंत्र का पता लगाया कि कैसे कम भोजन उम्र बढ़ा सकता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों की प्रगति को धीमा कर सकता है. फ्रूट फ्लाई (मक्खियों) और मानव कोशिकाओं में किया गया शोध, उम्र से संबंधित न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के लिए संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों की भी पहचान करता है. बक इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पंकज कपाही ने कहा, 'हमें एक न्यूरॉन-विशिष्ट प्रतिक्रिया मिली जो आहार प्रतिबंध के न्यूरोप्रोटेक्शन में मध्यस्थता करती है.'