हैदराबादः अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक पौधा है. यह एक नहीं अनेक रोगों के इलाज में काम आता है. इस गठिया, मधुमेह, सामान्य दुर्बलता, यौन दुर्बलता, थायराइड, तनाव नियंत्रण जैसी समस्याओं में अश्वगंधा का उपयोग कारगर माना गया है. मुख्य रूप से अश्वगंधा की जड़ों से पाउडर व कैप्सूल का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है.
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार 8 सप्ताह या 60 तक दवाई के रूप में अश्वगंधा का उपयोग सुरक्षित है. महिला-पुरूषों पर समान रूप से शोध के आधार पर बताया गया है कि उचित मात्रा में अश्वगंधा के उपयोग करने का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पाया गया है. इसके बाद भी कुछ मामलों में पाया गया है कि मामूली प्रतिकूल प्रभाव पाया गया है. जैसे कुछ मामलों में उल्टी-दस्त, डायरिया, आलस्य महसूस, ऊपरी जठरांत्र संबंधी समस्या हो सकती है. बता दें कि अश्वगंधा का प्रभाव दिखने में कई बार थोड़ा समय लगता है. इसलिए अश्वगंधा या इससे जुड़े अन्य कोई भी सप्लीमेंट लेने से डॉक्टर से सलाह अवश्य लें.
विशेषज्ञों का दावा है कि अश्वगंधा कई तरह की मेडिकल समस्याओं में काफी कारगर साबित हुई.
- यह ब्लड सुगर के लेवल को नियंत्रित करता है.
- यह सुजन संबंधी समस्या को हल करने में प्रभावी है.
- यह तनाव व चिंता के स्तर को कम करने में मददगार है.
- यह खिलाड़ियों के प्रदर्शन को सुधारने में काफी कारगर है.
- यह यादास्त के साथ-साथ मानसिक समस्याओं में लाभदायक है.
- यह मानसिक स्वास्थ संबंधी समस्याओं को हल करने में कारगर है.
- यह टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है, जिससे पुरुषों में प्रजनन क्षमता में सुधार होता है.
- यह नींद संबंधी समस्याओं के समाधान में काफी हद तक कम कारगर साबित हुआ है.
- पुराने जमाने से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा का उपयोग चिकित्सक करते थे.
- देश-विदेश में इसका उपयोग कई अन्य प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता है.
भारत में इन राज्यों में पाया जाता है अश्वगंधा
अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम (साइंटिफिक नेम)विथानिया सोम्निफेरा डनल है. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की ओर से राज्यवार औषधीय पौधा से संबंधित दस्तावेज में इसके बारे में जानकारी दी गई है. दस्तावेज में बताया गया है कि अश्वगंधा- आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, उड़िसा, नागालैंड, मिजरोम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक,झारखंड, जम्मू कश्मीर, गुजरात और हरियाणा में मुख्य रूप से पाया जाता है. इसके अलावा देश के कई हिस्सों में इसकी खेती होती है.