गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) डिजीज से जुड़ी वैश्विक चिंता के बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि कुछ जीआईकेवी-संक्रमित वयस्कों और बच्चों में जीबीएस, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस सहित न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लिकेशन डेवलप हो सकती हैं. डब्ल्यूएचओ के निष्कर्ष भारत के लिए विशेष महत्व रखते हैं क्योंकि 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2024 के बीच भारत के तीन राज्यों से जीका वायरस डिजीज (जेडवीडी) के कुल 151 मामले सामने आ चुके है, जिनमें गुजरात सबसे अधिक मामलों वाला राज्य है.
भारत में ZVD की स्थिति
1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2024 के बीच गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र से जीका वायरस रोग के कुल 151 मामले सामने आए थे. हालांकि,Integrated Disease SurveillanceProgramme(आईडीएसपी) के माध्यम से महाराष्ट्र ने सबसे अधिक 140 जीका वायरस मामलों की सूचना दी थी. 140 मामलों में से, अधिकांश (125 मामले) पुणे से, 11 अहमदनगर से और एक-एक मामला कोल्हापुर, सांगली और सोलापुर जिलों और मुंबई उपनगरीय क्षेत्र से रिपोर्ट किया गया था.
कर्नाटक के बेंगलुरू शहरी जिले से सात और शिवमोगा जिले से तीन जीका मामले सामने आए थें. गुजरात के गांधीनगर में 2024 में जीका का एक मामला सामने आया था. इस बीच, वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी संस्था ने यह भी कहा कि 31 दिसंबर, 2024 तक भारत में इस (जेडवीडी) प्रकोप से जुड़े माइक्रोसेफली और या गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का कोई मामला सामने नहीं आया है.
2021 के बाद से सबसे ज्यादा
महाराष्ट्र में 2024 में रिपोर्ट किए गए ZVD मामलों की संख्या 2021 के बाद से सबसे ज्यादा है, जबकि 2021, 2022 और 2023 में क्रमशः एक, तीन और 18 ZIKV रोग के मामले रिपोर्ट किए गए थे. 2024 में कर्नाटक राज्य में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या भी 2022 में रिपोर्ट किए गए पहले मामले के बाद से सबसे ज्यादा है. राज्य IDSP इकाई नियमित रूप से ZVD मामलों (गर्भावस्था की स्थिति) की संख्या को अलग-अलग नहीं करती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में ZIKV संक्रमण की संख्या अज्ञात है. हालांकि, WHO ने कहा कि 31 दिसंबर तक, इस प्रकोप से जुड़े माइक्रोसेफली और या गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कोई मामले सामने नहीं आए हैं.
जीका वायरस
जीका वायरस मच्छर जनित वायरस है, जिसकी पहली बार 1947 में युगांडा में रीसस मैकाक बंदर में पहचान की गई थी और 1950 के दशक में अन्य अफ्रीकी देशों में मनुष्यों में संक्रमण और बीमारी के सबूत मिले थे. जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है. जीका वायरस गर्भावस्था के दौरान मां से भ्रूण में, साथ ही यौन संपर्क, रक्त और रक्त उत्पादों के आधान और संभवतः अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से भी फैलता है. जीका वायरस संक्रमण या बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है.
जीका वायरस से जुड़ी चिंता
जीका वायरस बड़ी महामारी का कारण बन सकता है, खासकर जब प्रतिरक्षात्मक रूप से अनुभवहीन आबादी में प्रवेश किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर निगरानी, केस मैनेजमेंट और अलग-अलग laboratory diagnostic tests सहित कई तरह की जांच करनी पड़ती है और इस बीमारी में इनकी अधिक मांग होती है, खासकर डेंगू और चिकनगुनिया जैसी अन्य मच्छर जनित बीमारियों के सह-प्रसार के मामले में. अधिकांश मामलों में, ZIKV से संक्रमण लक्षणहीन या हल्के लक्षण वाला और कम अवधि का होता है. हालांकि, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण शिशुओं में माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृति (जन्मजात जीका सिंड्रोम (CZS)) के साथ-साथ समय से पहले जन्म और गर्भपात के खतरे से जुड़ा हुआ है. अइसके साथ ही WHO ने कहा कि कुछ ZIKV-संक्रमित वयस्कों और बच्चों में GBS, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस सहित तंत्रिका संबंधी जटिलताएं विकसित हो सकती हैं. जीका वायरस संक्रमण या बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है