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By ETV Bharat Health Team

Published : 4 hours ago

Updated : 3 hours ago

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हार्ट रेट 300, बीपी अनकंट्रोल, ऊपर से निमोनिया, जानें बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने कैसे बचाई बच्ची की जान - Srinagar Base Hospital Treatment

Treatment of newborn girl in Base Hospital Srinagar गढ़वाल के सबसे बड़े बेस अस्पताल श्रीनगर में एक ऐसी बच्ची को भर्ती कराया गया था, जिसका हार्ट रेट 300 पार था. इस बच्ची का बीपी भी कंट्रोल में नहीं था. साथ ही निमोनिया संक्रमण बहुत ज्यादा था. बेस अस्पताल के डॉक्टरों ने 11 दिन की मेहनत के बाद परिवार को खुशी के साथ घर भेजा है.

Base Hospital Srinagar
श्रीनगर बेस अस्पताल समाचार (ETV Bharat Graphics)

श्रीनगर: बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने पौड़ी जिला अस्पताल से रेफर होकर आई एक नवजात बच्ची का सफल इलाज कर जीवनदान दिया है. 11 दिनों तक चले नवजात बच्ची के इलाज के दौरान डॉक्टरों की टीम एवं नर्सिंग स्टाफ की बेहतर देखभाल के बाद शुक्रवार को माता-पिता अपने घर की खुशी को हंसते-मुस्कराते अस्पताल से डिस्चार्ज करते हुए घर ले गये.

बच्ची को मिला नया जीवन: नवजात बच्ची के माता-पिता ने बच्ची का सफल इलाज करने पर बेस अस्पताल के बाल रोग विभाग के डॉक्टरों का आभार प्रकट किया. साथ ही नवजात शिशुओं के लिए अस्पताल में आधुनिक मशीनें एवं इलाज की निशुल्क सुविधाएं देने पर प्रदेश के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का भी आभार भी अदा करते नजर आये.

डॉक्टरों ने दी खुशियां (Video- ETV Bharat)

300 पार कर गई थी हार्ट रेट: 11 दिन पहले पौड़ी अस्पताल से एक गंभीर स्थिति में शिशु रेफर होकर पहुंची थी. बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. सीएम शर्मा एवं उनकी टीम द्वारा बच्ची की हालत को देखते हुए तुरंत नीक्कू वार्ड के वेंटीलेटर में रखकर इलाज शुरू किया. बाल रोग विशेषज्ञ एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सीएम शर्मा ने बताया कि बच्ची का हार्ट रेट 300 से अधिक आ रहा था. नवजात बच्चों का सामान्य हार्ट रेट 100 से 160 के बीच रहता है. बीपी भी कट्रोल नहीं था. गम्भीर निमोनिया से बच्ची की छाती काफी प्रभावित थी. ऐसी स्थिति को देखते हुए बच्ची को वेंटीलेटर पर रखकर हार्ट रेट और बीपी ठीक करने के लिए तीन-तीन दवाइयां चलाई गईं.

ऐसे ठीक हुई बच्ची: धीरे-धीरे बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार आया और बच्चे को पहले ट्यूब और चम्मच के सहारे दूध पिलाया गया. जिसके बाद बच्ची को मां का दूध पिलाना शुरू हुआ और बच्ची के स्वास्थ्य में पहले से काफी सुधार आया. डॉ. शर्मा के मुताबित हार्ट रेट ज्यादा और बीपी कट्रोल ना होने के साथ निमोनिया वाले बच्चे जिंदगी और मौत के बीच झूझते हैं. किंतु ये बच्ची समय पर अस्पताल पहुंची, जिससे त्वरित इलाज कर नया जीवन मिलने में सफल हो पायी. उन्होंने कहा कि पहले इस तरह के बच्चे दून और ऋषिकेश एम्स के लिए रेफर होते थे, किंतु अब ऐसे बच्चों का इलाज बेस चिकित्सालय में सफलतापूर्वक किया जा रहा है.

माता-पिता ने जताया डॉक्टरों का आभार:पौड़ी मुख्यालय के सर्किट हाउस निवासी आशीष नेगी और बबीता ने बताया कि बेस अस्पताल में ही कुछ दिन पूर्व उनकी बच्ची का जन्म हुआ था. किंतु अचानक बच्ची की तबीयत बिगड़ गयी. पौड़ी अस्पताल से बेस अस्पताल लाया गया. यहां डॉक्टरों ने 11 दिनों तक बेहतर इलाज चलाकर हमारे घर की खुशियों को वापस लौटाया है. उन्होंने बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. सीएम शर्मा सहित उनकी टीम का ओपीडी कक्ष में पहुंचकर धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि बेहतर सुविधाएं मिलने के कारण आज उनकी बच्ची को बेस अस्पताल में ही समुचित इलाज मिल पाया और पूर्ण रूप से स्वस्थ हुई.

कौन हैं डॉक्टर सीएम शर्मा? डॉक्टर सीएम शर्मा मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले हैं. इनकी 12वीं तक की पढ़ाई मेरठ के एक सरकारी विद्यालय में हुई. उन्होंने एलएलआरएमएमसी मेरठ (लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज) से अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी की. डॉ शर्मा ने एमडी किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से किया. एमडी करने के बाद उन्होंने बरेली के रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज में सेवा देनी शुरू की. 2 साल यहां सेवा देने के बाद उन्होंने महंत इंद्रेश मेडिकल कॉलेज देहरादून में 6 साल तक सेवा दी. इस बीच उन्होंने मेरठ ओर दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में भी अपनी सेवाएं दी. वर्तमान में डॉक्टर शर्मा मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में बाल रोग विभाग के एचओडी के पद पर तैनात हैं.
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