पटनाःपूरे देश में मंगलवार को ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया गया. इसबार का थीम 'एंपावरिंग ऑटिस्टिक वॉइस' रखा गया है. इस थीम का उद्देश्य है कि इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की आवाज को मजबूती देना है. पटना की संस्थान स्पर्श इस क्षेत्र में काम कर रही है जो इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का इलाज करती है.
विशेष कार्यक्रम का आयोजनःमंगलवार को पटना के स्पर्श ऑटिस्टिक केयर थेरेपी सेंटर में इस मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. ऑटिस्टिक बच्चों के पेरेंट्स को चिकित्सकों ने प्रेरित किया कि वह अपने बच्चों को एक्सेप्ट करें. बच्चों के साथ सोसाइटी में जाए और बच्चों में ऑटिस्टिक बिहेवियर होने के कारण खुद गिल्ट महसूस न करें बल्कि बच्चों को समझ में ढ़लने में मदद करें.
अभिभावक ने साझा किया अनुभवः ऑटिस्टिक बच्चों के पैरंट्स ने अपने अनुभव को बताया कि कैसे बच्चों को विशेष केयर करना पड़ जाता है. अभिनंदिता कुमारी ने बताया कि साल 2021 में जब उनका बेटा ढाई वर्ष का था तो उन्हें पता चला कि उनके बच्चे में ऑटिज्म सिंड्रोम है. एक वर्किंग वुमन है और उनके पति भी वर्किंग है और दोनों का जॉब लोकेशन अलग है. इससे जीवन में काफी उथल-पुथल मच गई.
"बच्चे के बिहेवियर में अग्रेशन था. बच्चा बहुत उछल-कूद करता था. ना सोने का कोई समय था ना जगने का. किसी की बातों को नहीं सुनता था और काफी चिल्लाता था. कभी अपने आप में हंसने लगता था. इसके बाद ऑटिज्म थेरेपी सेंटर में भेजना शुरू किया. अब उसके बिहेवियर में काफी सुधार हुआ है. सामान्य बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाई करता है. अब अच्छे से बोल भी पा रहा है."-अभिनंदिता कुमारी, पटना
बच्चा में हो रहा काफी सुधारः पटना कीरागिनी कुमारी ने बताया कि साल 2022 में उन्हें पता चला कि उनके बच्चे में ऑटिज्म सिंड्रोम है. कई जगह दिखाया लेकिन सुधान नहीं हुआ. बाद में थेरेपी सेंटर में भेजना शुरू किया. इसके बाद बच्चों के बिहेवियर में काफी सुधार हुआ. अब वह खुद से खाना खा लेता है, हैंड वॉश कर लेता है, स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाई कर रहा है.
"शिक्षक भी बताते हैं कि उसके एग्रेसिव बिहेवियर में कमी आई है. बच्चों को घर में विशेष रूप से केयर करना पड़ता है, क्योंकि बच्चा जल्दी फील नहीं कर पता कि सामने वाला किस मूड में है और क्या कहना चाहता है. बच्चा अपने ही मूड में रहता है."-रागिनी कुमारी, पटना