दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024: विक्की कौशल को 'सैम बहादुर' के लिए मिला बेस्ट एक्टर क्रिटिक अवॉर्ड
Dadasaheb Phalke International Film Festival award 2024: दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 में विक्की कौैशल को सैम बहादुर के लिए बेस्ट एक्टर क्रिटिक के अवॉर्ड से नवाजा गया.
मुंबई:एक्टर विक्की कौशल ने दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2024 में फिल्म 'सैम बहादुर' में अपने प्रदर्शन के लिए बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स) का अवॉर्डज जीता. एक्टर ने स्पेशल वीडियो शेयर करते हुए अपनी खुशी जाहिर की. उनका ये वीडियो अवॉर्ड फंक्शन में दिखाया गया क्योंकि वह शामिल नहीं हो सके.
इंस्टाग्राम पर ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर अपनी स्टोरीज शेयर की जिसमें एक वीडियो विक्की का भी है. जिसमें वे एक्टर ने कहा, 'सैम बहादुर में मेरे काम के लिए मुझे बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स का पुरस्कार देने के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार की जूरी को बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आज इवेंट में नहीं हूं इसके लिए माफी मांगता हूं. मुझे किसी कारण से मुंबई के बाहर यात्रा करना पड़ रहा है. लेकिन धन्यवाद, यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है यह एक बहुत बड़ा सम्मान है और मैं अपनी निर्देशक मेघना गुलजार, अपने निर्माता रोनी स्क्रूवाला और सैम बहादुर की पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभी क्रू मेंबर्स, राइटर, मेरे को-स्टार जिनकी बदलौत में काम बहुत अच्छे से कर पाया, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ सर के परिवार को उनकी मदद, प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. यह मेरे प्यारे दर्शकों के लिए है जिन्होंने इस फिल्म को थिएटर में जाके देखा बहुत सारा प्यार दिया और हमें बहुत सपोर्ट किया. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आखिरी लेकिन खास बात यह है कि यह भारतीय सेना को समर्पित है. 'सैम बहादुर' भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित है. सेना में उनका करियर चार दशकों तक चला जिसमें उन्होंने पांच युद्ध लड़े. वह फील्ड मार्शल के पद पर नियुक्त होने वाले पहले भारतीय सेना अधिकारी थे.
मानेकशॉ, जिन्हें प्यार से 'सैम बहादुर' कहा जाता है, ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना को जीत दिलाई, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ. अपने सैन्य करियर में, मानेकशॉ ने 1947 के भारत-पाक युद्ध में भी खास भूमिका निभाई.