हैदराबाद : 'मेले बाबू ने थाना थाया' और 'मेरा छोना बाबू कैसा है' वाले सीजन (वैलेंटाइन डे वीक) की कल 7 फरवरी से शुरुआत हो रही है. वैलेंटाइन डे वीक को अगर हम 'वीक ऑफ लव' और 'अपॉर्चुनिटी टू गेट वीक ऑफ लव' कहें तो गलत नहीं होगा. 8 दिनों का प्यार का एहसास, केयर, अपनापन और त्याग से भरा यह रूमानी हफ्ता प्यार करने वालों के रिश्ते में करीबी लाकर उसे और मजबूत भी बनाता है. ना सिर्फ अनमैरिड कपल बल्कि शादीशुदा लोगों के लिए भी यह प्यार का त्योहार बेहद खास है. ऐसे में हम प्यार के इस त्याहोर को और भी रोमांटिक बनाने के लिए लाए हैं बॉलीवुड के 'किंग ऑफ रोमांस' शाहरुख खान की उन 5 क्लासिक फिल्मों की लिस्ट, जो इस वैलेंटाइन नए रिश्ता बनाने, करंट रिलेशनशिप स्टेट्स को मजबूत बनाने और आपको इस एक अच्छा लवर्स बनने पर मजबूर कर देंगी. साथ ही इन फिल्में आपको बता देंगी कि सच्चा प्यार कैसे मिलेगा. खबर के आखिर में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर वैलेंटाइन डे क्या है?
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)
फिल्मी दुनिया में जब-जब रोमांटिक और लव स्टोरी फिल्मों की चर्चा होगी, तब-तब शाहरुख खान और काजोल की सॉलिड लव कैमिस्ट्री फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की चर्चा होगी. जी हां, 90 के दशक की यह सुपरहिट फिल्म हर कपल को देखनी चाहिए. यह फिल्म दिल में प्यार की अलख जगाने के साथ-साथ प्यार को हाशिए में रहकर कैसे हासिल किया जाता है, यह सिखाएगी.
कुछ-कुछ होता है (1998)
शाहरुख खान और काजोल की हिट जोड़ी की एक और फिल्म 'कुछ-कुछ होता है' एक लव ट्रायंगल फिल्म है, जिसमें शाहरुख, काजोल और रानी मुखर्जी को देखा गया है. इस फिल्म से आप समझेंगे कि प्यार उसे करो जो आपको करता हो, उसे नहीं जिसे आप करते हो. फिल्म में यही दिखाया गया है. काजोल 'अंजली' के रोल में शाहरुख 'राहुल' को चाहती है, लेकिन राहुल तो टीना (रानी मुखर्जी) का दिवाना है, जो शादी के बाद जल्द ही चल बसती है, जो कि राहुल की बदकिस्मती है. खैर, इसके बाद राहुल और अंजली का मिलन बताता है कि सच्चा प्यार भले ही देर से मिले लेकिन मिलता जरूर है. यह पहली बार था जब करण जौहर और शाहरुख ने साथ में काम किया था.
मोहब्बतें (2000)
'कुछ-कुछ होता है' के बाद शाहरुख खान ने नई सदी 2000 में एक और रोमांटिक लव-स्टोरी फिल्म 'मोहब्बतें' से यह साबित कर दिया था कि बॉलीवुड के बादशाह (1998) के बाद 'किंग ऑफ रोमांस' भी वही हैं. नौजवानों के लिए यह बड़ी दिक्कत है कि पढ़ाई और प्यार करने की उम्र एक साथ शुरू होती है और पढ़ाई के साथ-साथ प्यार कितना जरूरी है फिल्म मोहब्बतें ये बताती है. 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'मोहब्बतें' इन दोनों फिल्मों के मेकर आदित्य चोपड़ा ही हैं. यह फिल्म आपको प्यार में आने वाली अड़चनें से रूबरू कराएगी. साथ ही यह भी बताएगी कि प्यार कभी भी और किसी से भी हो सकता है.
कल हो ना हो (2003)
करण जौहर की लिखी रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'कल हो ना हो' को निखिल आडवाणी ने डायरेक्ट किया था. अपने प्यार की खुशी और उसके उज्जवल भविष्य के लिए एक सच्चे लवर का अपने अरमानों का त्याग फिल्म 'कल हो ना हो' में देखने को मिलता है. फिल्म बताती है कि अगर आपकी जिंदगी के दिन कम है, तो अपने प्यार को पहले तो खुद से ऐसे दूर करो, जो यह साबित कर दें कि आप कितने नेक लवर हैं और दूसरा अपने प्यार को एक ऐसे इंसान के हाथ में सौंपकर जाओ, जो उसका मरते दम तक ख्याल कर सके. सच्चा प्यार वही है जो ख्याल और खुशी दोनों का ध्यान रखता है.
वीर-जारा (2004)
लव-स्टोरी फिल्म 'वीर जारा' शाहरुख खान के करियर की कल्ट क्लासिक लव-स्टोरी फिल्म है, जो दिवंगत दिग्गज डायरेक्टर यश चोपड़ा ने डायरेक्ट की थी. फिल्म वीर-जारा भी प्यार की कुर्बानी की कहानी है. वीर जारा एक ऐसे लवर की कहानी है, जो सीमा पार भी अपने प्यार पर आंच नहीं आने देना चाहता है. इस फिल्म में शाहरुख खान को अपना सच्चा प्यार पाने में 22 साल लगे थे. हालांकि यह कहानी फिल्मी है, लेकिन हकीकत यह है कि प्यार में त्याग ही सच्चे प्यार को करीब लाता है.
वैलेंटाइन डे क्या है?