नई दिल्ली : इस सप्ताह की शुरुआत में वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2024 को जारी किया गया था. इस रिपोर्ट में टॉप पर फिनलैंड है, जो दुनिया का सबसे खुशहाल देश बताया गया है. लेकिन इस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग को देखकर हरकोई हैरान रह गया. भारत 126वें स्थान पर है. कुल 143 देशों की रैंकिंग की गई है.
इस इंडेक्स के विरोधाभास को देखेंगे, तो आप भी कह उठेंगे, ऐसा नहीं हो सकता है. भारत 126वें स्थान पर है, जबकि चीन 60वें, नेपाल 93वें, पाकिस्तान 108वें, म्यांमार 118वें, श्रीलंका 128वें और बांग्लादेश 129 वें स्थान पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम खुश हैं, उम्र बढ़ने के साथ लिंग अंतर भी बढ़ता जा रहा है.
विश्व खुशहाली रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क द्वारा हर साल पब्लिश्ड की जाती है. बता दें कि इस रिपोर्ट में 6 कारक को ध्यान में रखा जाता है, जिसमें जीडीपी पर कैपिटा, हैल्थी लाइफ एक्सपेक्टेशन, किसी पर भरोसा करना, जीवन विकल्प चुनने की आजादी और उदारता और भ्रष्टाचार से फ्रीडम शामिल है.
भारत की इतनी खराब रैंकिंग क्यों
अब आप जरा सोचिए, सऊदी अरब 28वें स्थान पर है. यहां पर महिलाओं को कई मामलों में बराबरी का हक नहीं है. युद्धग्रस्त फिलिस्तीन, इजराइल और यूक्रेन भी भारत से बेहतर है. यूक्रेन तो खुद विदेशी सहायता की बदौलत युद्ध लड़ रहा है. वहां पर खाने के सामानों का अभाव है. विकास का ढांचा टूट चुका है. ऐसे में उसे भी भारत से बेहतर बताया गया है. इजराइल खुद युद्ध में शामिल है. वह भारत से मदद (लेबर) मांग रहा है. हथियारों के मामलों में उसने अमेरिका से मदद मांगी है. उसे हैप्पीनेस इंडेक्स में पांचवां स्थान दिया गया है.
इंडेक्स का विरोधभास
हैप्पीनेस इंडेक्स में सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि भारत की अर्थव्यस्था विश्व में पांचवें नबंर पर है. विकसित देशों के मुकाबले भारत का आर्थिक विकास दर भी अधिक है. भारत को पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे दिखाया गया है. अब पाकिस्तान की आर्थिक दशा कैसी है, यह किसी से छिपा नहीं है. वह कटोरा लेकर आईएमएफ का दरवाजा खटखटा रहा है. देश आर्थिक दिवालिएपन की कगार पर खड़ा है. अफगानिस्तान जैसा देश भी पाकिस्तान को टुकड़े करने की बात कर रहा है. उद्योग धंधे चौपट हो चुके हैं. आतंकियों का बोलबाला है. ऐसे में उसे भी भारत से बेहतर बताया गया है, इसका मतलब क्या हो सकता है.
युद्ध वाले देश भी भारत से अधिक खुश कैसे?
इस रिपोर्ट में निराशा की ओर इशारा कर रही है. क्योंकि जो देश युद्ध की आग में जल रहे हैं, वो भी भारत से अधिक खुश दिखाए गए हैं. इन देशों का हैप्पीनेस इंडेक्स चौंका कर रख देगा. इजरायल को रिपोर्ट में 5वां स्थान मिला है. वहीं, फिलिस्तीन को 103वें नंबर पर रखा गया है. फिलिस्तीन का तो भूगोल ही संकट में है. वहां पर किस इलाके में हमास की सरकार है और किस इलाके में दूसरे की सरकार है, इसमें वे उलझे हुए हैं. पर हैप्पीनेस इंडेक्स बनाने वालों को इससे कोई मतलब नहीं है. यूक्रेन को 143 देशों की रिपोर्ट में 105वें नंबर पर रखा गया है. रुस को इस रिपोर्ट में 79वें नंबर पर रखा गया है यानी वहां के लोग खुश हैं, लेकिन आधे दुखी हैं.
रिपोर्ट पर उठ रहे कई सवाल
सबसे अधिक ताज्जुब की बात तो यह है कि कांगो, पाकिस्तान, टोगो, नेपाल, म्यांमार जैसे देश भी भारत से ऊपर हैं. पाकिस्तान और कांगो जैसे देशों को भारत से ऊपर रखा गया है, जो इस रिपोर्ट पर सवाल खड़ा कर रहा है. ये वो देश है जिनकी अर्थव्ययवस्था काफी नाजुक स्थिति से गुजर रही है. अगर वहीं, हम इस लिस्ट पर भरोसा करते हैं तो भारत की तरक्की पर सवाल खड़े हो सकते हैं. जब देश के लोग खुश ही नहीं है तो तरक्की का क्या फायदा है. आर्थिक विकास खुशहाली के साथ होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो इस तरक्की का कोई मतलब ही नहीं है या ये कह सकते है कि विकास अधूरा है. भारत ने 2047 तक विकसित होने का लक्ष्य रखा है. कुछ सालों के अंदर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रही है.