OPS Vs NPS Vs UPS- नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक नई पेंशन योजना, यूनिफाइड पेंशन योजना को मंजूरी दे दी है, जो अगले वित्तीय वर्ष यानी वित्त वर्ष 2025-26 में लागू होगी. पुरानी पेंशन योजना को हटाने के लिए काफी आलोचना का सामना करने के बाद, एनडीए सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना शुरू की है, जो पिछली पुरानी पेंशन योजना के लाभों और नई पेंशन योजना की विशेषताओं को जोड़ती है. जानें UPS कैसे OPS और NPS से बेहतर है? पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली:रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा के लिए भारत सरकार अब नई पेंशन स्कीम लेकर आई है. इस पेंशन स्कीम का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) है. पहले पुरानी स्कीम योजना (OPS) चलती थी, जिसे सरकार ने बंद किया था. इसके बाद नेशनल पेंशन स्कीम लेकर आई. इसका काफी विरोध हो रहा था और लोग पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. मगर सरकार पुरानी स्कीम योजना (OPS) लेकर तो नहीं आई लेकिन एक नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) जरुर लॉन्च कर दी.
पेंशन एक सरकारी कर्मचारी के लिए एक प्रमुख भावनात्मक और वित्तीय मुद्दा रहा है, जो नौकरी की सुरक्षा से जुड़ा होता है. इसलिए, 2004 के बाद सरकार में शामिल होने वालों के लिए शुरू की गई नई पेंशन योजना (एनपीएस) को लेकर काफी चिंता थी. क्योंकि पेंशन राशि उनके लिए सुनिश्चित नहीं थी बल्कि इस बात पर निर्भर थी कि उनका और सरकार का योगदान बाजार में कैसा रहा. बता दें कि NPS ने ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह ली थी. पुरानी पेंशन स्कीम कर्मचारियों के लास्ट सैलरी पर आधारित होती थी.
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) शुरू करने के लिए ओपीएस और एनपीएस दोनों की सर्वोत्तम विशेषताओं को सम्मिलित किया है.
UPS कैसे OPS और NPS से बेहतर है?
UPS के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी को 10 फीसदी अंशदान करना होगा. OPS में ऐसा नहीं था क्योंकि केंद्र ने पूरी राशि वहन की थी, लेकिन NPS के तहत यह 10 फीसदी पेश किया गया था.
UPS के तहत ओपीएस की तरह ही एक सुनिश्चित पेंशन राशि होगी. साथ ही, पेंशन राशि OPS की तरह मुद्रास्फीति सूचकांक के अनुसार बढ़ेगी. पेंशन राशि NPS के मामले की तरह बाजार की अनिश्चितताओं पर निर्भर नहीं है.
NPS के तहत सरकार का अंशदान 14 फीसदी था. अब UPS के तहत इसे बढ़ाकर 18.5 फीसदी कर दिया गया है. इसलिए, सरकार अतिरिक्त बोझ उठा रही है.
UPS में मुख्य अंतर यह है कि यह एक वित्तपोषित और अंशदायी योजना है, साथ ही पेंशन राशि पर आश्वासन भी देती है. इस कदम से 23 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लाभ होगा. अगर राज्य भी यही रास्ता अपनाते हैं, तो कुल 90 लाख कर्मचारी लाभान्वित हो सकते हैं, जो वर्तमान में NPS के तहत हैं.
भाजपा के नेतृत्व वाले सभी राज्य जल्द ही UPS को अपनाएंगे. कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2025 तक UPS में स्विच करने का विकल्प दिया गया है, जैसे कि 2004 से एनपीएस के तहत आने वाले लोगों को दिया जा रहा है. उन्हें बकाया राशि का भुगतान भी किया जाएगा.