नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में एनडीए सरकार के तीसरा कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. यह उनका छठा पूर्ण बजट है और अंतरिम बजट सहित उनका सातवां बजट भाषण होगा. बजट से पहले, सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा. यह दस्तावेज देश के सामने वर्तमान में मौजूद आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा करेगा और पिछले वर्ष का आर्थिक विश्लेषण प्रदान करेगा. इसके अलावा यह भारत में आर्थिक विकास के लिए पूर्वानुमान भी प्रस्तुत करेगा. वित्त मंत्री ही संसद में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करते हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण की भूमिका
आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे कृषि, औद्योगिक उत्पादन, निर्यात, आयात और बुनियादी ढांचे आदि में विभिन्न रुझानों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह संभावित आर्थिक सुधारों के बारे में भी जानकारी देता है जो बजट को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक, भारत में पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 के दौरान संसद में पेश किया गया था. शुरुआत में यह केंद्रीय बजट का हिस्सा होता था, लेकिन 1964 से इसे अलग से पेश किया जाता रहा है, जो आर्थिक नीति को आकार देने में इसकी भूमिका को दर्शाता है.
आर्थिक सर्वेक्षण कौन तैयार करता है?
आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (वी अनंत नागेश्वरन) के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों की एक टीम द्वारा तैयार किया जाता है. परंपरा के अनुसार, आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर सांख्यिकीय जानकारी और विश्लेषण प्रदान करता है, जिसमें रोजगार, जीडीपी वृद्धि, महंगाई और बजट घाटे के आंकड़े शामिल होते हैं.
सर्वेक्षण का महत्व
आर्थिक सर्वेक्षण से नीति निर्माताओं को अहम जानकारी और सुझाव मिलते हैं. यह अर्थव्यवस्था के अपने निष्पक्ष विश्लेषण के माध्यम से स्पष्टता लाता है. यह नीति निर्माताओं से लेकर आम जनता तक सभी को मौजूदा आर्थिक स्थितियों और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी देता है. यह सर्वेक्षण भारतीय आर्थिक नीति और प्रदर्शन का अध्ययन करने वाले शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विश्लेषकों के लिए एक बहुमूल्य दस्तावेज है. यह आर्थिक साहित्य, शोध पत्रों और आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर बहस में योगदान देता है. यह दस्तावेज भारत के आर्थिक शासन में आर्थिक सर्वेक्षण की बहुमुखी भूमिका और विभिन्न हितधारकों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डालता है, जिससे यह आर्थिक नीति विमर्श और निर्णय लेने की आधारशिला बन जाता है.