नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी. यह भाजपा के नेतृत्व वाली नई एनडीए सरकार का पहला बजट है. बजट सरकार के वित्त का विस्तृत डिटेल्स होता है, जिसमें राजस्व और खर्च शामिल होते हैं. इसका इतिहास बहुत समृद्ध है, जो कोलोनियल काल से शुरू हुआ है और समय के साथ इसमें काफी बदलाव आया है.
केंद्रीय बजट का इतिहास
भारत का पहला केंद्रीय बजट 7 अप्रैल, 1860 को भारतीय परिषद के वित्त सदस्य और द इकोनॉमिस्ट अखबार के संस्थापक जेम्स विल्सन द्वारा पेश किया गया था. उस समय भारत ब्रिटिश कोलोनियल शासन के अधीन था. यह बजट 1857 के विद्रोह (सिपाही विद्रोह) के बाद भारत में ब्रिटिश प्रशासन के सामने आई वित्तीय कठिनाइयों का जवाब था.
असफल विद्रोह के बाद, जेम्स विल्सन को देश की वित्तीय संरचना में सुधार करने, टैक्स सिस्टम स्थापित करने और एक नई कागजी मुद्रा शुरू करने के लिए महारानी विक्टोरिया ने भारत भेजा गया था. ब्रिटिश सांसद ने तब आयकर की शुरुआत की, जो आज भी सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है.
सब्यसाची भट्टाचार्य की पुस्तक द फाइनेंशियल फाउंडेशन ऑफ द ब्रिटिश राज के अनुसार, सरकार डायरेक्ट टैक्स को लागू करने पर विचार कर रही थी. लेकिन उन्हें यकीन नहीं था कि इसे कैसे लागू किया जाए. उनके पास लाइसेंस टैक्स के लिए एक विधेयक था, लेकिन यह अच्छी तरह से योजनाबद्ध या संगठित नहीं था.
विल्सन के भारत आने के बाद, उन्होंने उस विधेयक को रद्द कर दिया और दो नए विधेयक पेश किए- आयकर और लाइसेंस टैक्स, जो अधिक संरचित और प्रभावी थे. अपने वित्तीय विवरण में, जेम्स विल्सन ने घोषणा की कि 200 रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों को करों का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है.