दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

शेयर मार्केट को लेकर अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कह दी बड़ी बात, क्या 2008 जैसा होगा हाल! - warns about market crash

Top US economist warns : एक अमेरिकी अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि शेयर बाजार में 2008 से भी बद्तर वित्तीय संकट आ सकता है. उन्होंने अनुमान जताया है कि 2025 की शुरुआत और मध्य के बीच बाजार में गिरावट आ सकती है.

Market
शेयर बाजार (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 13, 2024, 10:16 PM IST

नई दिल्ली: एक प्रमुख अमेरिकी अर्थशास्त्री हैरी डेंट ने शेयर बाजार के बारे में सख्त चेतावनी जारी की है. फॉक्स न्यूज डिजिटल से बात करते हुए हैरी डेंट ने कहा कि 'सब कुछ' का बुलबुला अभी फूटना बाकी है. यह बड़ी मंदी से भी अधिक विनाशकारी हो सकता है.

डेंट ने कहा कि ज्यादातर बुलबुले पांच से छह साल तक चलते हैं, लेकिन मौजूदा बुलबुले 14 साल से फूल रहे हैं. उन्होंने कहा, 'तो आपको 2008-09 से भी बड़ी दुर्घटना के लिए तैयार रहना होगा.'

उन्होंने अनुमान लगाया कि जब बुलबुला फूटेगा, तो बाजार में मंदी 2008 के वित्तीय संकट जैसी हो सकती है. दरअसल मई में अमेरिकी शेयरों के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, नैस्डैक, एसएंडपी 500 और डॉव जोन्स सभी में बढ़त दर्ज की गई. अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा कि 'मुझे लगता है कि हम एसएंडपी को शीर्ष से 86 प्रतिशत और नैस्डैक को 92 प्रतिशत नीचे जाते हुए देखेंगे.'

डेंट ने यह भविष्यवाणी की कि मुद्रास्फीति से निपटने के लिए फेडरल रिजर्व की तेजी से मौद्रिक नीति को सख्त करने के कारण अगले साल की शुरुआत से मध्य तक गिरावट आ सकती है.

डेंट ने उम्मीद जताई है कि 2025 की शुरुआत और मध्य के बीच बाजार में गिरावट आएगी. वह रियल एस्टेट बाजार को बुलबुले के केंद्र के रूप में रखते हैं. दावा करते हैं कि अमेरिकी घरों का मूल्य पहले ही उनके भविष्य के मूल्य से दोगुना या उससे अधिक बढ़ गया है. डेंट के अनुसार, लंबे समय से चले आ रहे बुलबुले के लिए अमेरिकी सरकार दोषी है.

उन्होंने कहा कि 'सरकार ने यह बुलबुला 100% बनाया. मानव जीवन से लेकर इतिहास तक सब कुछ दिखाता है कि आपको कुछ भी बिना कुछ दिए नहीं मिलता है, और बुलबुले हमेशा फूटते हैं... यह किसी की भी तुलना में बहुत अधिक संभावना है.'

साल 2008 में आई थी बड़ी गिरावट : गौरतलब है कि अमेरिकी अर्थशास्त्री की ये भविष्यवाणी भारत के लिए भी खतरे की घंटी है. 27 अक्टूबर 2008 को सेंसेक्स 63 फीसदी लुढ़क गया था. आंकड़ों की बात करें तो से 7697 अंक गिर गया था. वैश्विक वित्तीय संकट अमेरिकी हाउसिंग बुलबुले के कारण पैदा हुआ था, जिसके बाद दुनियाभर के बाजार क्रैश हो गए थे.

अमेरिका में इस वजह से आई थी मंदी :अमेरिका में उस दौरान हाई रिस्क वाले बंधक ऋण (mortgage lending) और जटिल वित्तीय डेरिवेटिव (complex financial derivatives) को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है. संकट के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी आई, जिससे प्रमुख वित्तीय संस्थान विफल हो गए और पर्याप्त सरकारी सहायता की आवश्यकता पड़ी. इसके बाद लंबे समय तक मंदी देखी गई. खामियाजा भारत समेत तमाम देशों को भी भुगतना पड़ा.

ये भी पढ़ें

शेयर बाजार ने फिर तोड़ा रिकॉर्ड, सेंसेक्स 227 अंक ऊपर, निफ्टी 22,300 के पार हुआ बंद

ABOUT THE AUTHOR

...view details