वैश्विक जोखिम रिपोर्ट : इस साल किन 10 बातों से है पूरी दुनिया को खतरा, जानें
Global Risks in 2024- विश्व आर्थिक मंच ने उन 10 मुद्दों को सामने रखा है, जिसे साल 2024 के लिए खतरा बताया गया है. इसके लिए मंच ने एक सर्वे किया और उसके बाद टॉप 10 वैश्विक जोखिम रिपोर्ट जारी किया है. आइए उन मुद्दों के बारे में जानते हैं, जिससे दुनिया को खतरा है.
नई दिल्ली:पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. जिंदगी जीने की लागत का संकट दुनिया भर के लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी को कठिन बना रहा है. मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के वाइडर रीजनल कॉन्फ्लिक्ट में बदलने की संभावना है. 2024 दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा चुनावी वर्ष होने की उम्मीद है, जिसमें 60 देशों में 4 अरब लोग वोट डालेंगे. जब लोग चुनाव की ओर बढ़ेंगे, तो गलत सूचना और ध्रुवीकरण जैसे खतरे बड़े पैमाने पर सामने आ सकते हैं.
वैश्विक जोखिम रिपोर्ट
विश्व आर्थिक मंच के दुनिया भर के नेताओं के वार्षिक सर्वेक्षण के आधार पर 2024 के लिए सबसे बड़े जोखिमों को दिखाते हुए एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में अगले दो वर्षों में प्रत्येक देश के लिए सबसे गंभीर खतरा पैदा करने वाले रिस्क के बारे में, जैसा कि 113 अर्थव्यवस्थाओं में 11,000 से अधिक व्यापारिक नेताओं द्वारा पहचाना गया है.
साल 2024 के ग्लोबल रिस्क विश्व आर्थिक मंच ने टॉप 10 रिस्क के बारे में बताया है. सर्वे में शामिल नेताओं को पांच जोखिम चुनने के लिए कहा गया था, जो 2024 में वैश्विक स्तर पर भौतिक संकट पेश करने की संभावना है. साल 2024 में जारी ग्लोबल रिस्क को दो भागों में बांटा गया है, जिसमें एक 2 सालों के लिए टॉप 10 रिस्क को दिखाता है. दूसरा 10 सालों के टॉप 10 रिस्क को दिखाता है.
इन टॉप रिस्कों को 5 कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें आर्थिक, भू-राजनैतिक, सामाजिक, प्रौद्योगिकीय और पर्यावरण शामिल है.
टॉप 10 ग्लोबल रिस्क
पहला रिस्क - एक्सट्रीम वेदर- सर्वे में शामिल लीडर के अनुसार मौसम सबसे बड़ा जोखिम पैदा करता है. अगले दो वर्षों में गंभीरता के मामले में यह पहले स्थान पर है. वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं इंटेंस मौसम के परिणामों के लिए व्यापक रूप से तैयार नहीं हैं, जिनमें फूड सिस्टम से लेकर बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर की डैमेज तक के झटके शामिल हैं. असल में, कुछ शोध से पता चलता है कि अगर तापमान में वृद्धि जारी रही तो 2030 तक प्लानेट में संभावित रूप से अपरिवर्तनीय परिवर्तन हो सकते हैं. यह पूरी लिस्ट में जोखिम की गंभीरता के मामले में पहले स्थान पर है. इस खतरे का 2024 में 66 फीसदी योगदान होगा.
दूसरा रिस्क - मिस इंफॉर्मेशन और डिसइन्फॉर्मेशन- गलत सूचना और डिसइन्फॉर्मेशन दूसरा सबसे बड़ा जोखिम है, जो विश्वास को कम कर सकता है और राजनीतिक विभाजन को गहरा कर सकता है. इसमें वैश्विक चुनावों को कमजोर करने की भी क्षमता है, जो अमेरिका, रूस, भारत, मैक्सिको और दर्जनों अन्य देशों में होने वाले हैं. एआई-जनरेटेड कंटेंट में प्रगति को देखते हुए गलत सूचना का खतरा विशेष रूप से स्पष्ट है. अगले दो वर्षों में गंभीरता के मामले में भी यह दूसरे स्थान पर है. इस खतरे का 53 फीसदी योगदान होगा.
तीसरा रिस्क - सामाजिक पोलराइजेशन- सामाजिक पोलराइजेशन वर्तमान और दो-वर्षीय टाइम पीरियड दोनों में तीसरे स्थान पर है. सामाजिक ध्रुवीकरण आर्थिक मंदी से जुड़ा हुआ है, और जोखिम कारकों का एक प्रभावशाली समूह है. इसका योगदान 46 फीसदी है.
चौथा रिस्क : कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस- रिपोर्ट के अनुसार, लिविंग की लागत का लगातार संकट, वैश्विक आर्थिक स्थिरता में अनिश्चितताओं को जन्म दे सकता है. मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी टॉप जोखिमों में उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में उभरी है. इसका योगदान 42 फीसदी है.
पांचवां रिस्क - साइबर अटैक- जैसे-जैसे दुनिया भर में एआई और तकनीकी प्रगति की ओर बढ़ रहा है. वैसे-वैसे साइबर अटैक का भी खतरा बढ़ रहा है. सर्वे से पता चला है कि साइबर हमले और खतरे वर्तमान में के लिए सबसे बड़ा जोखिम है. इसका दुनिया के टॉप रिस्कों में 39 फीसदी का योगदान है.
छठा रिस्क - आर्थिक मंदी- प्राइवेट सेक्टर के रिस्पॉन्डेंट के बीच आर्थिक मंदी व्यापक है, जो ईओएस में सर्वेक्षण किए गए 102 देशों (90 फीसदी) में टॉप जोखिमों में से एक है. वैश्विक विकास में मंदी पहले से ही हो रही है, लेकिन यह पिछले साइकल की तुलना में आर्थिक मापदंडों के एक अलग सेट के तहत हो रही है, जिससे अनिश्चितता बढ़ रही है. अगले दो वर्षों में, अर्थव्यवस्थाओं के भीतर और उनके बीच, विशेष रूप से मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और विकास दरों के संबंध में आगे के अनुमानों में सामंजस्य की कमी हो सकती है. इसका योगदान 33 फीसदी का योगदान है.
सातवां रिस्क - डिस्ट्रब्ड सप्लाई चेन फॉर क्रिटिकल गुड्स एंड रिसोर्सेज-सप्लाई चेन में बाधा वैश्विक स्तर पर गतिविधि और व्यापार पर दबाव डाल रहा है. जिसमें लॉजिस्टिक्स, सेमीकंडक्टर की कमी आर्थिक गतिविधि पर महामारी से संबंधित प्रतिबंध और लेबर की कमी शामिल है. ये दुनिया के दस सबसे बड़े रिस्क में से एक है.
आठवां रिस्क - इंटरस्टेट सर्ज या आउटब्रेक- तात्कालिक चिंताएं अंतरराज्यीय सशस्त्र संघर्ष के जोखिम पर केन्द्रित हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चल रहे संघर्ष, अंतर्निहित भू-राजनीतिक तनावों के साथ मिलकर संघर्ष संक्रमण का खतरा पैदा करते हैं. इसका योगदान 25 फीसदी है.
नौवां रिस्क - अटैक ऑन क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर-वैश्विक स्तर पर सरकारी क्षेत्र को साइबर खतरों में उल्लेखनीय वृद्धि का सामना करना पड़ा, जो विभिन्न प्रकार के रिफाइंड खतरे को दिखाता है.
दसवां रिस्क - डिसरप्टिव सप्लाई चेन फॉर फूड-कच्चे माल की खरीद में कठिनाई का सबसे अधिक असर इसकी कीमत पर पड़ा है. आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट ने मटेरियल की कमी को सप्लाई चेन का सबसे बड़ा कारक बताया है, जिससे बिजनेस पर असर पड़ने की उम्मीद है.