भारत का ऐसा राज्य जहां करोड़ों की कमाई पर भी नहीं देना पड़ता एक भी टैक्स, जानें क्यों - Tax free State in India
Tax free State in India- सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां के लोगों को इनकम टैक्स भरने से छूट मिली है. यह 1975 के ऐतिहासिक विलय समझौते के अंतर्गत आता है. यहां के लोग अगर साल में करोड़ों की कमाई भी करते हैं तो भी कोई टैक्स नहीं वसूला जाता. ऐसा क्यों, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...
भारत का ऐसा राज्य जहां करोड़ों की कमाई पर भी नहीं देना पड़ता एक भी टैक्स (Getty Image)
नई दिल्ली:भारत में कमाई करने वाले प्रत्येक शख्स को हर साल आयकर दाखिल करना अनिवार्य है. इससे इतर देश में एक राज्य ऐसा भी है जिसे इनकम टैक्स फाइल करने से छूट प्रदान की गई है. सुनकर चौंक गए ना. आइये बताते हैं वह है पूर्वोत्तर भारत का सिक्किम राज्य.
बता दें, सिक्किम, एक पूर्ववर्ती राज्य को इस शर्त पर भारत में विलय कर दिया गया था कि उसके पुराने कानून और विशेष दर्जा बरकरार रहेगा. इस प्रकार छोटे पहाड़ी पूर्वोत्तर राज्य ने अपने स्वयं के सिक्किम आयकर मैनुअल 1948 का पालन किया, जो 1975 से कर कानूनों को नियंत्रित करता है. इस नियम के तहत, सिक्किम के किसी भी निवासी को केंद्र को टैक्स नहीं देना था.
सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के निवासियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(एफ) और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(26एएए) के तहत आयकर से छूट प्राप्त है. सिक्किम के 1975 में भारत में विलय से प्राप्त यह यूनिक दर्जा, इसके निवासियों को महत्वपूर्ण वित्तीय राहत देता है.
बता दें कि भारत में, जिन व्यक्तियों की आय कर योग्य वर्ग के अंतर्गत आती है, उन्हें आयकर का भुगतान करना आवश्यक है. लेकिन सिक्किम एक ऐसा राज्य भी है, जहां के निवासियों को, भले ही वे करोड़ों कमाते हों, आयकर का भुगतान नहीं करना पड़ता है.
क्यों नहीं देना पड़ता टैक्स? भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371(F) सिक्किम के निवासियों को आयकर के दायरे से बाहर रखता है. 1975 में सिक्किम का भारत में विलय हुआ था. विलय इस शर्त पर आधारित था कि सिक्किम अपने पुराने कानून और विशेष दर्जा बरकरार रखेगा. सिक्किम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371-F के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है. मूल निवासियों को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(26AAA) के तहत आयकर से छूट दी गई है.
सिक्किम के टैक्स कानून निरस्त लेकिन वर्ष 2008 में सिक्किम के टैक्स कानून निरस्त कर दिए गए. उस साल के केंद्रीय बजट में धारा 10 (26AAA) को शामिल करके राज्य के निवासियों को टैक्स से छूट दी गई. अधिनियम में एक धारा को अनुच्छेद 371 (एफ) के अनुसार सिक्किम और सिक्किमियों को दिए गए विशेष दर्जे की रक्षा के लिए शामिल किया गया था.
साल 2008 में, केंद्र सरकार ने सिक्किम के 94 फीसदी से अधिक लोगों को आयकर से छूट दी. लेकिन 500 से अधिक परिवारों को छोड़ दिया, जिन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने से इनकार कर दिया था.
धारा 10 (26AAA) के तहत, सिक्किम के व्यक्तियों को राज्य में या कहीं और से प्रतिभूतियों पर लाभांश या ब्याज के रूप में अर्जित आय से छूट दी गई थी.
इसके अलावा, बाजार नियामक सेबी ने सिक्किम के निवासियों को भारतीय प्रतिभूति बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए अनिवार्य पैन की आवश्यकता से भी छूट दी.