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'20 फीसदी लाभ पर आईपीओ बेचना क्या सही है', क्या कहता है सेबी, जानें - SEBI report on IPO - SEBI REPORT ON IPO

आईपीओ में पैसा लगाकर लोग एक सप्ताह के भीतर ही बेच दे रहे हैं, बहुत कम ऐसे निवेशक हैं, जो लंबे समय तक शेयर को अपने पास रख रहे हैं. सेबी ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.

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कॉन्सेप्ट फोटो (canva)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2024, 7:39 PM IST

मुंबई : आजकल आईपीओ को लेकर रिटेल इन्वेस्टर के बीच क्रेज है. नए-नए जितने भी आईपीओ बाजार में आते हैं, निवेशक उनके पीछे टूट पड़ते हैं. अभी हाल ही में मात्र 12 करोड़ के आईपीओ के लिए 4800 करोड़ तक की बोली लगा दी गई थी. हालांकि, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिन्हें भी आईपीओ में शेयर अलॉट किए जाते हैं, उनमें से अधिकांश निवेशक एक सप्ताह के भीतर ही अपना शेयर बेच देते हैं. यह खुलासा खुद सेबी ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है.

मिंट में प्रकाशित एक खबर के अनुसार सेबी के मुताबिक अप्रैल 2021 से दिसंबर 2023 के बीच जिन्होंने भी आईपीओ के लिए आवेदन दिया, और जिन्हें आवंटन मिला, उनमें से आधे से अधिक निवेशकों ने लिस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर अपने शेयर बेच दिए. लिस्टिंग के एक साल के भीतर 70 फीसदी निवेशकों ने उस शेयर को बेच दिया.

सेबी ने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि इस तरह के निवेशकों में एक खास पैटर्न भी देखा गया है. उनके अनुसार जिन शेयरों के वैल्यू बाद में जाकर बढ़े, उनमें से इंडिविजुअल निवेशक निकल गए, जबकि लिस्टिंग के बाद जिन आईपीओ के वैल्यू गिर गए, उन्हें प्रायः बनाए रखते हैं. यानी नुकसान वाले शेयरों को रखना, जबकि प्रोफिट वाले को बेच देना.

सेबी ने जिन 144 मेन बोर्ड पब्लिक इश्यू में इंडिविजुअल निवेशकों की हरकतों का अध्ययन किया है, उनमें फ्लिपिंग एक कॉमन ट्रेंड देखा गया.

इंडिविजुअल निवेशक रिटर्न से अधिक प्रभावित हो रहे हैं. जैसे, जिस भी आईपीओ में उन्हें 20 फीसदी रिटर्न मिल जा रहा है, उसे वे एक सप्ताह के भीतर बेच देते हैं. सेबी के अनुसार 67.6 फीसदी शेयर एक सप्ताह के भीतर बेच दिए गए. जबकि जिनके निगेटिव रिर्टन होते हैं, उनके मात्र 23.3 फीसदी शेयर ही बेचे गए.

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पॉजिटिव लिस्टिंग प्रोफिट दर्ज करने वाले आईपीओ शेयरों को बेचने की अधिक प्रवृत्ति दिखाई दी. सेबी के अनुसार यह पैर्टन उन निवेशकों में अधिक देखा गया, जिन्होंने अपना डीमैट अकाउंट कोविड लहर के बाद खुलवाया है.

इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एनआईआई (नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर) श्रेणी में ओवर-सब्सक्रिप्शन दर 38 गुना से घटकर 17 गुना हो गई है. इसी तरह से आईपीओ में एक करोड़ रु. से अधिक पैसे लगाने वाले निवेशकों की संख्या में काफी कमी आई है. रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या प्रति आईपीओ 20 तक रह गई है, जो कोविड के पहले 600 से भी अधिक होती थी.

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