पटना: देश में माइक्रोफाइनेंसकंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बिहार में 2019 के बाद से इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. 2019 में 20 से 25 कंपनियां ऋण देने में लगी थी, लेकिन अब माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की संख्या 40 से अधिक पहुंच गई है. आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को उत्तर प्रदेश और बिहार में ऋण बांटने पर चेताया है.
RBI का यूपी बिहार को लेकर निर्देश: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ऋण बांटने की गति स्लो करने के लिए कहा है नहीं तो राशि डूबने का खतरा है. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों धड़ल्ले से बिहार में 10000 से लेकर 50000 तक ऋण बांट रही है. माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बिहार और उत्तर प्रदेश में 25% से अधिक छोटे ऋण बांटे हैं. आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर है कि गारंटी नहीं होने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को कर्जदार से वसूली करने में परेशानी होगी. बड़ी राशि डूबने का खतरा है.
एक व्यक्ति ले रहा कई जगह से कर्ज:आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर भी है कि एक व्यक्ति कई जगह से ऋण ले रहा है, जिससे उनके लिए चुकाना आसान नहीं है. बिहार में 10.1% लोगों ने तीन जगह से ऋण ले रखा है. 8.7% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. यूपी में 7.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है तो 6.6% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है. राष्ट्रीय औसत 8.7% लोगों ने तीन जगह से ऋण लिया है जबकि 6.4% लोगों ने चार या चार से अधिक जगह से ऋण लिया है.
'आंध्र प्रदेश क्राइसिस की तरह हो सकते हैं हालात': ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि आंध्र प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने ऋण बाटा था. 2010 से 2013 तक धड़ल्ले से ऋण बांटने के कारण माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के बंद होने का खतरा हो गया. क्योंकि सरकार की तरफ से भी ऋण नहीं लौटाने को लेकर गाइडलाइन तैयार की गई और बिल पास भी कराया गया लेकिन वह रिजेक्ट हो गया. वहीं विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास ने कहा माइक्रो फाइनेंस कंपनियां 25% से अधिक लोन दे रहे हैं यानी कि जो बिहार में लोन दिया जा रहा है उसका 25% हिस्सा है यानी हजारों करोड़ों की राशि है.
"अब बिहार के साथ भी वह खतरा उत्पन्न हो रहा है क्योंकि बिहार में भी माइक्रोफाइनेंस कंपनियों 25% से भी अधिक रेट पर धड़ल्ले से लोन दे रही है. ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है यदि प्रोडक्टिव वर्क में उसका लिंक नहीं है केवल कंजप्शन के लिए लोन लिया जा रहा है और वह भी चार-पांच जगह से ले रहे हैं तो उनके लिए लौटना मुश्किल होगा. आरबीआई ने इसी को लेकर चिंता जाहिर की है और वह सही भी हो सकता है. दूसरी तरफ माइक्रोफाइनेंस कंपनियों इलीगल तरीके से वसूली भी करती हैं और उसके कारण समाज पर भी प्रभाव पड़ेगा."-विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ , एएनसिन्हा इंस्टिट्यूट