नई दिल्ली: पेटीएम इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इतना चर्चित तो उस समय भी नहीं हुआ था जब इसको लॉन्च किया गया था. वैसे इन चर्चा में बने रहने की वजह तो सब लोग जानते हैं, लेकिन बताना जरूरी है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ दिनों पहले पेटीएम पेमेंट बैंक को 29 फरवरी तक अपना परिचालन बंद करने को कहा गया है. इससे इतर शुक्रवार को केंद्रीय बैंक ने 15 दिनों की फौरी राहत दी है.
क्या है पेटीएम?
बता दें, पेटीएम एक डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है जो आपको ऑनलाइन बैंकिंग, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से एकीकृत वॉलेट में नकदी स्थानांतरित करने या यहां तक कि चुनिंदा बैंकों और भागीदारों के माध्यम से कैश जमा करने की अनुमति देता है. पेटीएम वॉलेट में पैसे का उपयोग करके, आप कैश का यूज किए बिना कई चीजों के लिए पेमेंट कर सकते हैं. Paytm पेमेंट बैंक में केवल पैसे जमा किए जा सकते हैं, उनके पास लेनदेन करने का हक नहीं है. ये डेबिट कार्ड तो जारी कर सकते हैं लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए उन्हें किसी लेंडर रेगुलेटर के साथ समझौता करनी पड़ेगी. मतलब पेटीएम एक ऐसा बैंक खाता है जिसमें ऐसे पैसे रखे जा सकते हैं जो आम तौर पर मर्चेंट्स को जो भुगतान मिलता है, वो उनके पेटीएम पेमेंट खाता में जाता है और फिर उनके बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर होते हैं. उसके बदले में कंपनी अपने ग्राहकों को क्रेडिट संख्या देती है. बता दें, पेटीएम की पेरेंट कंपनी का नाम वन97 कंम्युनिकेशंस है. इसी कंपनी के पास प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानी पीपीआई लाइसेंस है जिसे साल 2017 में पेटीएम पेमेंट बैंक शुरू करने के लिए इस्तेमाल किया गया.
कैसे हुई पेटीएम की शुरुआत
भारत में पेटीएम की स्थापना विजय शेखर शर्मा ने साल 2010 के अगस्त में की थी. जानकारी के मुताबिक विजय शेखर ने इसमें करीब 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था. इस कंपनी की शुरुआत prepaid मोबाइल और DTH रिचार्ज प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी. बाद में साल 2013 में डेबिट कार्ड, Postpaid मोबाइल और लैंडलाइन बिल पेमेंट को जोड़ा गया. साल 2017 में Paytm 10 करोड़ से ज्यादा ऐप डाउनलोड को पार करने वाला देश का पहला पेमेंट ऐप बन गया. उसी साल, इसने पेटीएम गोल्ड लॉन्च किया, एक ऐसा उत्पाद जिसने उपयोगकर्ताओं को कम से कम 1 रुपये शुद्ध सोना ऑनलाइन खरीदने की अनुमति दी. इसने पेटीएम पेमेंट्स बैंक और इन-चैट भुगतान वाला एक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म 'इनबॉक्स' भी लॉन्च किया.
पेटीएम कैसे काम करता है?
Paytm दो अलग-अलग तरीकों से काम करता है. एक है पेटीएम वॉलेट और दूसरा है पेटीएम पेमेंट्स बैंक. पेटीएम एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है जो आपको क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग और बैंकिंग भागीदारों के माध्यम से धन हस्तांतरित करने की अनुमति देती है. पेटीएम वॉलेट में पैसे रखकर आप कहीं भी लिक्विड कैश खर्च किए बिना सभी बिलों का भुगतान कर सकते हैं. यह आपको कई तरीकों से मदद करता है, जैसे आप डिजिटल रूप से भुगतान करते हैं जैसे मोबाइल रिचार्ज, कैब भुगतान, बिजली बिल, गैस बिल, टिकट बुकिंग, मूवी आदि. इसके लिए आपको अपने बैंक खाते से पेटीएम वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे. उसके बाद आप इस पैसे प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं. Paytm का दूसरा विकल्प Paytm payment बैंक के लिए दिया गया है. यह अन्य बैंकों की तरह ही चलेगा. जिन उपयोगकर्ताओं के पास पहले से ही पेटीएम वॉलेट खाता है, वे बैंक खाते से माइग्रेट कर सकते हैं. बाद में वे उन सभी लाभों का आनंद ले सकते हैं जो उन्हें वॉलेट में मिलते थे और बैंकिंग में भी मिलेंगे. यह लोगों द्वारा ई-भुगतान और ई-लेन-देन में पेटीएम की उपयोगिता में बढ़त को दर्शाता है.
पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा कौन है?
पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा का जन्म 8 जुलाई, 1973 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. उनकी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए एक विशेष अनुमति से 15 साल की उम्र में ही उन्हें दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल गया था. दूसरे सरकारी स्कूल के छात्रों की तरह, विजय शर्मा को भी कॉलेज के प्रोफेसर जो भी इंग्लिश में पढ़ाते थे उसे समझना विजय को मुश्किल लगता था. इस कारण जल्द ही उन्होंने कक्षाओं में रुचि खो दी. वे अपने क्लास की पढ़ाई से ज्यादा सफलता की किताबें पढ़ने लगे.
कैसे शुरु हुआ था सफर
सफलता की इतनी सारी कहानियों को पढ़ने के बाद, वह स्पष्ट रूप से समझ गए थे, कि अगर वह अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, तो उन्हें खुद का मालिक होना पड़ेगा. इसलिए, विजय शर्मा ने अपने कोलेज के क्लासेस से ही कोडिंग सीखना शुरू किया. उसके बाद, 1 साल के लिए विजय ने अपनी खुद की कंपनी शुरू करने के लिए पैसे जुटाने के लिए कई प्रोडक्स पर काम किया. साल 2000 में, उन्होंने अपनी कंपनी वन 97 को शुरू किया.
नहीं दे पाते थे घर का किराया
कुछ समय के बाद ही वन 97कंपनी को चलाने के लिए विजय शेखर शर्मा की बचत कम हो गई, इसलिए अपनी कंपनी को विकसित करने के लिए उन्हें बैंक से लेना पड़ा. अपनी कंपनी को चलाने के लिए, कभी-कभी पेटीएम के CEO विजय शेखर शर्मा को 24 फीसदी इंटरेस्ट रेट के साथ भी लोन लेना पड़ता था. यहां तक कि एक उनका लाईफ में एक ऐसा भी समय आया था, जब उनके पास अपने घर के किराए का पेमेंट करने के लिए पैसे नहीं थे, तो रात को देर घर वापस आते थे और सुबह जल्दी ही बाहर निकल जाते थे. ताकि मकान मालिक उन्हें देखव ना सके. बीतते समय के साथ-साथ उनकी माली हालत खराब होती जा रही थी. यहां तक कि कभी-कभी विजय शर्मा ने अपने दोस्त के घर में रात का भोजन किया, क्योंकि उनके पास खाना खरीदने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे