नई दिल्ली: बढ़ते शेयर बाजारों से लाभ उठाने के लिए उत्सुक भारत के बढ़ते खुदरा निवेशक आधार को स्पष्ट रूप से सावधान करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि 2025 में एक सार्थक बाजार सुधार संभव है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वे 2024-25 में नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिका में ऊंचे मूल्यांकन और आशावादी बाजार भावना से भारत के लिए संभावित जोखिम हैं, क्योंकि वे 2025 में एक सार्थक बाजार सुधार की संभावना को बढ़ाते हैं.
नागेश्वरन ने कहा, “अगर ऐसा सुधार होता है, तो इसका भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर युवा, अपेक्षाकृत नए खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए.” उन्होंने कहा कि महामारी के बाद बाजार में प्रवेश करने वाले इनमें से कई निवेशकों ने कभी भी महत्वपूर्ण और लंबे समय तक बाजार सुधार नहीं देखा है. इसलिए, अगर ऐसा होता है, तो भावना और खर्च पर इसका प्रभाव नॉन-ट्रिविअल हो सकता है
भारत की कैपिटल मार्केट को बाहरी झटके का जोखिम
उन्होंने कहा कि अकेले अमेरिका एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स (नवंबर 2024 तक) का 75 प्रतिशत हिस्सा है, इसलिए इसके बाजार में किसी भी सुधार का भारत सहित वैश्विक बाजारों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल मिलता है.
रिकॉर्ड ऊंचाई पर अमेरिकी बाजार
अमेरिकी बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर सरकार द्वारा विश्लेषित आंकड़ों के अनुसार भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद, अमेरिकी इक्विटी बाजारों ने लगातार दूसरे वर्ष ठोस प्रदर्शन किया, और व्यापक विकसित बाजार पैक से बेहतर प्रदर्शन कियाय
उदाहरण के लिए, एसएंडपी 500 इंडेक्स ने 2023 में 24% की बढ़त दर्ज की और 2024 में 20 फीसदी से अधिक रिटर्न देने की राह पर है. ये बेहद मजबूत बाजार रिटर्न अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और मजबूत कॉर्पोरेट आय के दम पर हासिल हुए, जो सितंबर 2024 में समाप्त होने वाली तिमाही तक लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड-उच्च स्तर पर पहुंच गए.
नागेश्वरन ने इस फैक्ट पर भी प्रकाश डाला कि पिछले दो साल में अमेरिकी शेयर बाजार में आई तेजी मुख्य रूप से कुछ मेगा-कैपिटलाइजेशन टेक्नोलॉजी कंपनियों, जैसे कि ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, अल्फाबेट और एनवीडिया की वजह से हुई है.