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पिछले 5 सालों में निफ्टी से ज्यादा सोने पर जताया गया भरोसा, हुई बेतहाशा कमाई - Gold give more return than Nifty

Gold give more return than Nifty- पिछले 5 साल में सोने ने निफ्टी से ज्यादा रिटर्न दिया है. लगातार लोगों का ध्यान गहनों की जगह निवेश पर टिकी है. इस वजह से अधिकतर लोग सोने में निवेश करना ज्यादा पंसद कर रहे है. पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो निफ्टी के मुकाबले सोने ने ज्यादा रिटर्न दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

Gold give more return than Nifty
(प्रतीकात्मक फोटो) (IANS Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 16, 2024, 12:49 PM IST

नई दिल्ली:गहनों के रूप में सोने की मांग लगातार घटती जा रही है, लेकिन निवेश के मामले में सोने की चमक हर दिन बढ़ रही है. इसी मांग के चलते लोग शेयर बाजार में निवेश की जगह सोना को चुन रहे है, और चुने भी क्यों नहीं, पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो निफ्टी के मुकाबले सोने ने ज्यादा रिटर्न दिया है.

पीली धातु, जो तेजी की रैली के बीच में है, ने पिछले पांच वर्षों में 18 फीसदी का वार्षिक रिटर्न दिया है. वहीं, निफ्टी ने 15 फीसदी का प्रॉफिट दिया है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख इक्विटी इंडेक्स एक, तीन, 10 और 15 साल जैसी कई अन्य समयावधियों में रिटर्न के मामले में अभी भी पीली धातु को मात देता है.

रिपोर्ट के मुताबिक निफ्टी की 15 फीसदी की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) की तुलना में, सोने की 14 फीसदी थी. इस साल अब तक वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतें लगभग 20 फीसदी उछलकर लगभग 2,390 डॉलर प्रति औंस के मौजूदा स्तर पर पहुंच गई हैं. अप्रैल के मध्य में सोने की कीमत कुछ समय के लिए 2,400 डॉलर के स्तर को भी पार कर गई थी, जो अब तक का उच्चतम आंकड़ा है.

घरेलू बाजार में भी, अप्रैल की शुरुआत में सोने की कीमतें 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर पहुंच गई थीं और महीने के दौरान एमसीएक्स पर 75,000 रुपये के स्तर को तोड़ने के करीब है. तब से यह थोड़ा ठंडा होकर लगभग 73,000 रुपये के मौजूदा स्तर पर आ गया है.

सोने की कीमतों में इस तेजी के कई कारण हैं.

  • पहला, कई प्रमुख केंद्रीय बैंक सोना खरीदने की होड़ में हैं. और इस सूची में चीन, भारत और रूस शामिल हैं। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद अमेरिका द्वारा रूसी मूल की डॉलर-मूल्य वाली संपत्तियों को फ्रीज करने के बाद, वैश्विक निवेशकों का ग्रीनबैक पर भरोसा हिल गया था. इसने कई केंद्रीय बैंकों को सोना खरीदने के लिए प्रेरित किया, जिसे अक्सर इसकी स्वीकृति के कारण वैश्विक मुद्रा माना जाता है. इससे सोने की कीमतें बढ़ रही है.
  • अमेरिका और यूरोपीय संघ के बढ़ते कर्ज के कारण भी सोने की मांग बढ़ रही है, क्योंकि यह मुद्रा की गिरावट की चिंताओं के बीच एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में काम करता है. सोने की तेजी का एक और छोटा कारण चीनी निवेशकों की ओर से मांग है क्योंकि उनका रियल एस्टेट और शेयरों पर से भरोसा उठ गया है.

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