नई दिल्ली:रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मंदी के कारण भारत की जीडीपी बढ़ोतरी लगभग दो वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. यह केवल मैन्युफैक्चरिंग ही नहीं है जिसने जीडीपी वृद्धि को 7 तिमाहियों के निचले स्तर पर पहुंचा दिया, बल्कि खनन और उत्खनन जैसे अन्य घरेलू कारण और निर्यात में गिरावट जैसे बाहरी कारण विकास की गति को पटरी से उतारते दिखे.
जीडीपी में मंदी ने चौंकाया
हालांकि विशेषज्ञों ने इस वित्तीय वर्ष (जुलाई-सितंबर 2024) की दूसरी तिमाही में जीडीपी में मंदी की भविष्यवाणी की है. लेकिन इस तीव्र गिरावट ने कई विशेषज्ञों को चौंका दिया है. क्योंकि उन्होंने दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.5 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान लगाया था. जबकि इस साल अक्टूबर में आयोजित रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में दूसरी तिमाही में जीडीपी बढ़ोतरी 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.
पिछले साल इसी अवधि के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि साल-दर-साल आधार पर 8.1 फीसदी मापी गई थी और क्रमिक आधार पर, इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी बढ़ोतरी 6.7 फीसदी मापी गई थी.
जीडीपी में तेज गिरावट क्यों बनी चिंताजनक?
पिछली तिमाही में जीडीपी में तेज गिरावट अधिक चिंताजनक है. क्योंकि इसमें भारत के सबसे बड़े त्यौहारी सीजन की अवधि शामिल है, जिसमें दीपावली, धनतेरस जैसे त्यौहार और अन्य शुभ अवसर शामिल हैं, जब बड़ी संख्या में भारतीय आवास, ऑटोमोबाइल, आभूषण और अन्य निर्मित वस्तुओं की खरीदारी करते हैं.
वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2022) के बाद पिछली 7 तिमाहियों के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर कभी भी 6 फीसदी से नीचे नहीं रही है, जब इसमें 4.3 फीसदी की गिरावट आई थी. इसके बाद इसने गति पकड़ी और वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 8 फीसदी (8.2 फीसदी) से अधिक हो गई.
तब से इसने पिछले वित्त वर्ष की अगली दो तिमाहियों में गति बनाए रखी, पिछले वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में क्रमश- 8.1 फीसदी और 8.6 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की.
आर्थिक गतिविधियों में नरमी का पहला संकेत वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च 2024 अवधि) में देखा गया, जब आर्थिक वृद्धि दर घटकर 8 फीसदी से नीचे आ गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में इसके 7.8 फीसदी पर रहने का अनुमान था.
तब से पिछली दो तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि में 1 फीसदी से अधिक की भारी गिरावट दर्ज की गई है. यह इस साल जनवरी-मार्च में 7.8 फीसदी से घटकर इस साल अप्रैल-जून में 6.7 फीसदी हो गई और फिर इस साल जुलाई-सितंबर की अवधि में यह घटकर 5.4 फीसदी रह गई.
तो क्या गलत हुआ?
इस साल सितंबर में देश ने सरकार की प्रमुख योजना मेक इन इंडिया के लॉन्च के 10 साल पूरे होने का जश्न मनाया, जिसे देश के सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी में सुधार करने के लिए तैयार किया गया था, जो कि मुख्य रूप से सेवाओं द्वारा संचालित है. हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा लगभग उसी स्तर पर बना हुआ है, जहां यह दस साल पहले था.