दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

मनमोहन सिंह का LPG मॉडल जिसने बदली देश की तस्वीर, वित्त मंत्री बनकर आए और पलटी बाजी - MANMOHAN SINGH

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का निधन हो गया. मनमोहन सिंह को आधुनिक भारत के प्रमुख आर्थिक सुधारों का वास्तुकार माना जाता था.

Manmohan Singh
मनमोहन सिंह (IANS Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 27, 2024, 9:56 AM IST

नई दिल्ली:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. मनमोहन सिंह भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक थे. उन्हें प्रमुख उदार आर्थिक सुधारों का वास्तुकार माना जाता था. प्रधानमंत्री से पहले मनमोहन सिंह भारत के 22वें वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था. मनमोहन सिंह ने जुलाई 1991 में एक केंद्रीय बजट पेश किया, जिसने देश की आर्थिक दिशा को बदल दिया और कुछ ऐसे कठोर निर्णय लिए जिनकी सख्त जरूरत थी.

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के अंत में कहा था कि मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्षी दलों की तुलना में अधिक दयालु होगा.

ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जब पूरा देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के निधन पर शोक मना रहा है.

देश की आर्थिक दिशा को बदली
भारत के आर्थिक उदारीकरण के निर्माता माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री ने गंभीर संकट के समय देश की अर्थव्यवस्था को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1990 के दशक की शुरुआत में वित्त मंत्री के रूप में और बाद में 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल ने ऐसी नीतियों की शुरुआत की जो भारत के विकास को प्रभावित करती रहीं.

भारत का 1991 का आर्थिक संकट
जब 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया, जब भारत आर्थिक पतन के कगार पर था. विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि तेल और फर्टिलाइजर जैसे आवश्यक आयातों के कुछ हफ्तों को भी मुश्किल से कवर किया जा सकता था. महंगाई बढ़ रही थी, राजकोषीय घाटा बढ़ रहा था और भारत भुगतान संतुलन के संकट का सामना कर रहा था. चुनौती को और बढ़ाते हुए, सोवियत संघ (जो एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार था) का पतन हो गया था, जिससे सस्ते तेल और कच्चे माल का एक प्रमुख सोर्स कट गया था.

मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र की अपनी गहरी समझ के साथ अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और दीर्घकालिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए व्यापक सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की.

1991 के आर्थिक सुधार
मनमोहन सिंह के सुधार उदारीकरण (लिबरलाइजेशन), निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) और वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के इर्द-गिर्द केंद्रित थे, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को मौलिक रूप से बदल दिया. कुछ प्रमुख सुधार इस प्रकार थे-

  • रुपये का अवमूल्यन और व्यापार उदारीकरण- जुलाई 1991 में भारतीय रिजर्व बैंक ने तत्काल संकट को स्थिर करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के साथ 46.91 टन सोना गिरवी रखा. इसके बाद सिंह ने वैश्विक बाजारों में भारतीय निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रुपये का अवमूल्यन किया. उन्होंने आयात शुल्क भी कम किया और विदेशी व्यापार पर प्रतिबंध हटा दिए, जिससे भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत हो सका.
  • औद्योगिक नीति सुधार-लाइसेंस राज को समाप्त करना 24 जुलाई, 1991 को सिंह ने एक नई औद्योगिक नीति पेश की जिसने 'लाइसेंस राज' को समाप्त कर दिया. इससे पहले, उद्योगों को विस्तार और उत्पादन सहित अधिकांश कार्यों के लिए सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती थी. नई नीति ने औद्योगिक क्षेत्र के लगभग 80 फीसदी को विनियमन मुक्त कर दिया, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के लिए विशेष रूप से आरक्षित उद्योगों की संख्या 17 से घटकर 8 हो गई. इस कदम ने निजी उद्यमों और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया, जिससे औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला.
  • बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार-मनमोहन सिंह के नेतृत्व में वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुए. नरसिम्हम समिति की सिफारिशों के बाद स्टेटरी लिक्विडिटी रेश्यो (एसएलआर) को 38.5 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया और कुछ वर्षों में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया

इन उपायों ने बैंकों को अधिक स्वतंत्र रूप से लोन देने की अनुमति दी, जिससे आर्थिक विस्तार को बढ़ावा मिला. बैंक शाखाओं के लिए लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को आसान बनाया गया और ब्याज दरों को विनियमित किया गया, जिससे एक अधिक प्रतिस्पर्धी और कुशल बैंकिंग प्रणाली का निर्माण हुआ.

ये भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details