नई दिल्ली:नीति आयोग के हाल के रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का गरीबी स्तर गिरकर केवल पांच फीसदी रह गया है. ये देश के आर्थिक परिदृश्य में सुधार का संकेत है. इस बात की जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने दी हैं. उन्होंने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) द्वारा किए गए लेटेस्ट कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे का हवाला दिया, जो घरेलू उपभोग खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है.
प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना हुआ
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एक दशक से अधिक के अंतराल के बाद जारी की गई है, जिससे पता चलता है कि 2011 से 2012 की तुलना में 2022 से 2023 में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना से अधिक हो गया. बीवीआर सुब्रमण्यम ने गरीबी के स्तर और गरीबी एलिमिनेशन उपायों की प्रभावशीलता का आकलन करने में सर्वेक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला है.
भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे
सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर भरोसा जताया और कहा कि आंकड़े बताते हैं कि भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे है. सर्वेक्षण में लोगों को 20 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया, जिससे पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च 3,773 रुपये है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6,459 रुपये है. सुब्रमण्यम ने बताया कि गरीबी मुख्य रूप से 0-5 फीसदी आय वर्ग में बनी रहती है. अगर हम गरीबी रेखा लेते हैं और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के साथ आज की दर तक बढ़ाते हैं, तो हम देखते हैं कि सबसे कम आंशिक, 0-5 फीसदी की औसत खपत लगभग समान है. इसका मतलब है गरीबी नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि देश केवल 0-5 फीसदी समूह में है.