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भारत को ट्रंप की नहीं टमाटर की चिंता, जानें सब्जी क्यों बनी अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी से ज्यादा बड़ी चिंता? - TOMATO PRICE IN INDIA

डोनाल्ड ट्रंप भारत की नंबर 1 समस्या नहीं हैं. टमाटर की कीमत तात्कालिक चिंता बनी हुई है. कीमतों में 161 फीसदी की उछाल आई है.

Tomato price in India
(प्रतीकात्मक फोटो) (IANS Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 15, 2024, 3:28 PM IST

नई दिल्ली:डोनाल्ड ट्रंप भारत की नंबर 1 समस्या नहीं हैं. कम से कम अभी तो नहीं ही है. उनकी आक्रामक व्यापार नीति आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक विकास के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभर सकती है. लेकिन मुंबई में केंद्रीय बैंक के लिए एक बड़ी ज्यादा तात्कालिक चिंता टमाटर है. पिछले महीने टमाटर की कीमतों में 161 फीसदी की उछाल आई है. देर से और भारी बारिश के कारण एक साल पहले की तुलना में टमाटर के कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है. आलू और प्याज भी महंगे हो रहे हैं. खाद्य खर्च नियंत्रण से बाहर हैं. ब्लूमबर्ग रिपोर्टमें इस बात को बताया गया है.

एसएंडपी ग्लोबल इंक. की सहयोगी कंपनी क्रिसिल के अनुसार, अक्टूबर में घर पर पकाए गए भोजन की औसत लागत - चावल, रोटी, दाल, सब्ज़यां, सलाद और दही का एक मानक भोजन - 14 महीनों में सबसे ज्यादा थी.

अमेरिकी चुनाव से पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होती जा रही थी. लेकिन महंगाई केंद्रीय बैंक की 2 से 6 फीसदी की सहनीय सीमा के ऊपरी छोर से ऊपर बढ़ रही है. इसलिए कई विश्लेषक अप्रैल में अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले मौद्रिक ढील की संभावना को खारिज कर रहे हैं. उस समय तक, अगले अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों का प्रभाव पड़ना शुरू हो जाएगा, खासकर विनिमय दर पर.

अभी टमाटर और बाद में ट्रंप
दोनों ही RBI की चालबाजी को सीमित कर सकते हैं. यह कितनी जल्दी एक धीमी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आ सकता है, और यह कितनी मदद कर सकता है. जीवन की उच्च लागत और कम आय वृद्धि उपभोक्ता मांग को खोखला कर रही है, खासकर बड़े महानगरों में. लेकिन डॉलर में उछाल आ रहा है, और विदेशियों ने इस तिमाही में अब तक भारत के महंगे शेयर बाजार से 13 बिलियन डॉलर से अधिक निकाल लिए हैं. कम भारतीय ब्याज दरें पूंजी पलायन को बढ़ा सकती हैं. अगर वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू हो जाता है, जहां घरेलू मुद्रास्फीति का दबाव कम हो जाता है, तो भारत में ब्याज दरों में कमी से पूंजी पलायन बढ़ सकता है.

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तावित आयात शुल्क से दुनिया के प्रोडक्शन नेटवर्क में अव्यवस्था फैलने का खतरा है. इनसे अमेरिकी उपभोक्ता कीमतों में भी बढ़ोतरी होने और फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती की गति धीमी होने की भी उम्मीद है.

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