नई दिल्ली:रेटिंग एजेंसी ICRA ने वित्त वर्ष 2024 में घरेलू कॉटन स्पिनिंग इंडस्ट्री की मांग में 12-14 फीसदी की वार्षिक वृद्धि की भविष्यवाणी की है. वहीं, चीन से सोर्सिंग प्राथमिकता में बदलाव के कारण यार्न निर्यात में 85 फीसदी से 90 फीसदी की तेज वृद्धि होने की संभावना है. अमेरिका और यूरोपीय संघ क्षेत्रों में वसंत/गर्मी के मौसम के लिए मांग में सुधार की उम्मीद है. इससे परिधान और घरेलू कपड़ा विनिर्माताओं की ओर से घरेलू मांग बढ़ेगी.
बहरहाल, कॉटन की कीमतों में एक महत्वपूर्ण मंदी, जिसके परिणामस्वरूप यार्न की प्राप्ति में कमी आई है. संभवतः वित्त वर्ष 2024 में राजस्व में 9-10 फीसदी की सालाना गिरावट के साथ लगभग 33,465 करोड़ रुपये हो जाएगी.
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने क्या कहा?
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख, कॉर्पोरेट सेक्टर रेटिंग्स, जयंत रॉय ने कहा कि कॉटन थ्रेड की मात्रा में वृद्धि के बावजूद, आईसीआरए को उम्मीद है कि भारतीय कॉटन स्पिनिंग कंपनियों की परिचालन आय में 9-10 फीसदी की गिरावट आएगी. आगे उन्होंने कहा कि परिचालन प्राप्ति में उल्लेखनीय गिरावट और कम सकल योगदान स्तर के बीच वित्त वर्ष 2024 में मार्जिन में 200-240 बीपीएस की कमी आएगी. फिर भी, हाल ही में चुनिंदा खिलाड़ियों द्वारा जोड़ी गई इन-हाउस बिजली उत्पादन क्षमताओं से मध्यम अवधि में मार्जिन दबाव कम होने की संभावना है.
कॉटन थ्रेड के निर्यात पर क्या बोले जयंत रॉय?
कॉटन थ्रेड का निर्यात आम तौर पर भारत के सूती धागे के उत्पादन का 25-35 फीसदी होता है, जबकि शेष घरेलू बाजार का होता है. जबकि वित्त वर्ष 2023 में सूती धागे के निर्यात में भारी गिरावट (53 फीसदी) देखी गई थी, चालू वित्त वर्ष में प्रवृत्ति उलट गई है. वित्त वर्ष 2024 के पहले सात महीनों में, कम आधार पर और चीन को निर्यात में वृद्धि के साथ कुल यार्न निर्यात मात्रा में 142 फीसदी (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर) की वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप कुल उत्पादन में निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 19 फीसदी और FY2024 के पहले सात महीनों में 33 फीसदी तक से बढ़ गई.
FY2024 के लिए ICRA का अनुमान
पूरे वर्ष FY2024 के लिए, ICRA का अनुमान है कि भारत के यार्न निर्यात में साल-दर-साल आधार पर 85-90 फीसदी की वृद्धि होगी. इन निर्यातों में बांग्लादेश, चीन और वियतनाम का हिस्सा 60 फीसदी है. भारतीय यार्न निर्यात में एशिया की हिस्सेदारी 70 फीसदी होने के कारण, लाल सागर में चल रहे संघर्ष के कारण भारतीय यार्न निर्यात पर कोई तत्काल प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है. इस टकराव के किसी भी निरंतर जारी रहने से परिधान निर्यात की मात्रा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और सूती धागे की घरेलू और निर्यात मांग और इसकी प्राप्ति दोनों पर परिणामी प्रभाव पड़ेगा.
2023 की दूसरी छमाही में कपास की कीमतों में आई गिरावट
बता दें कि घरेलू कपास की कीमतें वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में उच्चतम स्तर पर रहीं, लेकिन वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में इसमें लगातार गिरावट आई. कमजोर परिचालन वातावरण के कारण, वित्त वर्ष 2024 के 9 महीनों में, वित्त वर्ष 2023 में कपास की औसत कीमतों की तुलना में कीमतों में 25 फीसदी की गिरावट आईगी. कपड़ा आयुक्त कार्यालय के अनुमान के अनुसार, असमान वर्षा के बीच कपास बोए गए क्षेत्र में कमी के कारण कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए घरेलू कपास उत्पादन में 6 फीसदी की कमी होने का अनुमान है. कम अपेक्षित उत्पादन के कारण कपास की कीमतों में मौजूदा स्तर से मामूली वृद्धि होने की उम्मीद है.