कोलकाता:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी.इस बजट से इंडियन ज्वेलरी सेगमेंट को उम्मीद है कि केंद्रीय वित्त मंत्री सोने पर सीमा शुल्क कम करेंगी. क्योंकि सोने की तस्करी बढ़ने और कीमती धातु की कीमत 63,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है. इससे खुदरा बिक्री पर असर पड़ रहा है. वर्तमान में सोने पर मूल सीमा शुल्क लगभग 12.5 फीसदी है और अतिरिक्त 2.5 फीसदी एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर उपकर के रूप में देना पड़ता है. इसके अलावा, 3 फीसदी का वस्तु एवं सेवा टैक्स (जीएसटी) है.
सोने पर अधिक शुल्क से देश में सोने की तस्करी बढ़ रही
इंडियन ज्वेलरी सेगमेंट चाहता है कि सीमा शुल्क को घटाकर 4 फीसदी किया जाए ताकि शादी के मौसम में बिक्री बढ़ सके और ग्रे रूट के माध्यम से सोने के प्रवेश को भी नियंत्रित किया जा सके. सोने पर अधिक शुल्क से देश में सोने की तस्करी को बढ़ावा मिलता है. उद्योग के अनुमान के अनुसार लगभग 100 -120 टन सोना अवैध मार्ग से देश में प्रवेश करता है.
सोने के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग और जीएसटी जैसे नियामक सुधारों के कारण ऑर्गेनाइज्ड ज्वेलरी रिटेल सेक्टर स्थिर गति से बढ़ रहा है. हालांकि, ऑर्गेनाइज्ड ज्वेलरी रिटेल सेक्टर की क्षमता को अनलॉक करने के लिए, बजट में सोने पर आयात शुल्क को कटौती करने की आवश्यकता है.
मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के अध्यक्ष ने क्या कहा?
मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के अध्यक्ष एम.पी. अहमद ने कहा कि उच्च सोने का आयात शुल्क ऑर्गेनाइज्ड ज्वेलरी रिटेल सेक्टर के विकास के लिए हानिकारक है, क्योंकि यह इनडायरेक्ट रूप से सोने की तस्करी और अनऑथराइज्ड ग्रे मार्केट लेनदेन को बढ़ावा देता है. बजट में प्रभावी टैक्स अनुपालन और पारदर्शिता को लागू करके व्यापार प्रथाओं को नियंत्रित करने के उपायों का प्रस्ताव करने की भी आवश्यकता है.
मालाबार समूह के प्रमुख का मानना है कि अंतरिम बजट में ऑर्गेनाइज्ड ज्वेलरी रिटेल सेक्टर के विकास के लिए व्यापक मार्ग बनाने के उपायों का भी प्रस्ताव होना चाहिए. बजट द्वारा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा यह सुनिश्चित कर सकता है कि कच्चा माल सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध हो. यह संभव हो सकता है यदि अहमदाबाद में गिफ्ट सिटी अंतरराष्ट्रीय सोने के आपूर्तिकर्ताओं को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर भारतीय निर्माताओं को आपूर्ति करने की अनुमति दे.
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बहुत प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गोल्ड लोन के रूप में सोने की उपलब्धता समय की मांग है. इस कदम से गोल्ड कंपनियों के कारोबार को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी.