नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश किया गया. ये 48 करोड़ लाख रुपये का रिकॉर्ड बजट न केवल केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियों और खर्च का ब्यौरा देता है. बल्कि यह सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य के बारे में अतिरिक्त आंकड़े भी देता है. यह दिखाता है कि भारत सरकार किस तरह टैक्स को इकट्ठा करके और बाजार से उधार लेकर अपने वित्त का मैनेज करती है. किस तरह वह हर साल ब्याज भुगतान के रूप में बजट की एक बड़ी राशि का भुगतान करके अपने लोन दायित्वों का निर्वहन करती है.
यह सच है कि केंद्र सरकार के कुल बजटीय खर्च का आधे से अधिक हिस्सा उसके द्वारा एकत्र राजस्व से पूरा होता है.
उदाहरण के लिए, इस वर्ष केंद्र का नेट रेवेन्यू कलेक्शन 48.2 लाख करोड़ रुपये के कुल खर्च के मुकाबले 25.83 लाख करोड़ रुपये अनुमानित किया गया है. इसका मतलब है कि केंद्र का रेवेन्यू कलेक्शन इस वर्ष कुल खर्च का लगभग 54 फीसदी होगा.
- केंद्र के राजस्व संग्रह में आयकर, कॉर्पोरेट कर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, जीएसटी में उसका हिस्सा आदि जैसे टैक्स का कलेक्शन शामिल है.
- रेवेन्यू कलेक्शन के अलावा वित्त मंत्री ने अनुमान लगाया है कि सरकार इस साल गैर-कर राजस्व के रूप में 5.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक एकत्र करेगी.
- इनमें ब्याज प्राप्तियां, केंद्र सरकार की कंपनियों और बैंकों के लाभांश और मुनाफे, बाहरी अनुदान, अन्य गैर-कर राजस्व और केंद्र शासित प्रदेशों से संग्रह शामिल हैं.
ये दोनों प्राप्तियां 48.2 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट का 31.28 लाख करोड़ रुपये हैं, जो इस साल के कुल खर्च का लगभग 65 फीसदी है.
- कुल खर्च का एक तिहाई से अधिक हिस्सा उधार लेकर पूरा किया जाता है.
इस साल सरकार अपने खर्च को पूरा करने के लिए 16.13 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का इरादा रखती है. दूसरे शब्दों में, सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक 100 रुपये में से 35 रुपये का इंतजाम बाजार और अन्य स्रोतों से उधार लेकर किया गया है.
सरकार किस तरह से पैसे उधार लेती है?
भारतीय रिजर्व बैंक, जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत भारत सरकार के लिए बैंकर और मुद्रा प्रबंधक है. एक साल के लिए सरकार के उधार कैलेंडर को तैयार करता है.
सरकार के लोन वित्तपोषण के कई स्रोत हैं. सबसे बड़ा स्रोत सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से बाजार उधार है जिसे जी-सेक कहा जाता है. इस साल सरकार को इस मार्ग से 11.63 लाख करोड़ रुपये से अधिक उधार लेने की उम्मीद है.
इसके बाद सरकार अल्पावधि लोन के लिए ट्रेजरी बिल या टी-बिल भी जारी करती है. इस साल, टी-बिल से 50,000 करोड़ रुपये उधार लेने की उम्मीद है.
तीसरा स्रोत लघु बचत निधि (एसएसएफ) के विरुद्ध प्रतिभूतियां हैं. इस साल सरकार इस मार्ग से 4.2 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था करेगी. फिर यह अन्य प्राप्तियों या आंतरिक लोन, बाहरी उधारों और नकद शेष राशि के माध्यम से भी पैसे की व्यवस्था करती है.