हैदराबाद:सरकारी कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं है. अगर भत्ते पहले की तरह ही मिलते रहे तो सरकारी नौकरी वालों की तो मौज है. लेकिन, क्या इसका असर निजी क्षेत्र की नौकरियों की आय पर भी पड़ेगा? क्या निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी आठवां वेतन आयोग कोई गुड न्यूज लेकर आएगा? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि प्राइवेट या सरकारी क्षेत्र में किसकी सैलरी ज्यादा होती है? क्या तनख्वाह के मामले में प्राइवेट वाले सरकारी वालों से पहले से फायदे में हैं, या नहीं? आइए, इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
कौन ज्यादा सैलरी उठा रहा है?
दरअसल, सातवां वेतन आयोग लागू होने से पहले, IIM अहमदाबाद ने सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी की तुलना की थी. इस अध्ययन से यह पता चला कि कमाई के मामले में कौन आगे है. अध्ययन में पाया गया कि निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी निजी क्षेत्र से अधिक थी. उदाहरण के लिए, 2015 में किए गए अध्ययन के अनुसार, सरकारी ड्राइवर का औसत वेतन लगभग 18,000 रुपये था, जो उस समय बाजार के हिसाब से लगभग दोगुना था. हालांकि, सरकारी अधिकारियों की सैलरी के मामले में, कॉर्पोरेट के मैनेजर आगे थे.
प्राइवेट या सरकारी, किन कर्मचारियों की मौज?
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश से पहले के इस अध्ययन में, सरकारी अधिकारियों की सैलरी 58,100 रुपये से शुरू होती थी. संयुक्त सचिव की सैलरी 1.82 लाख रुपये, सचिव की 2.25 लाख रुपये और कैबिनेट सचिव की सैलरी 2.5 लाख रुपये थी. लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर भत्तों और बंगलों को मिला दिया जाए तो यह कई गुना बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए, कैबिनेट सचिव के लुटियंस ज़ोन के बंगले का किराया उनकी सैलरी से कहीं अधिक है. इसलिए, भत्तों और सैलरी को मिलाकर, सरकारी कर्मचारी अधिक आरामदायक स्थिति में होते हैं.
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को कितना फायदा?
अब जब आठवां वेतन आयोग आएगा, तो क्या इसका लाभ निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगा? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में उठता है जो निजी क्षेत्र में काम करता है. ऐसा माना जा रहा है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों का असर अन्य क्षेत्रों में कर्मचारियों की सैलरी पर भी पड़ेगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी सरकार के आठवें वेतन आयोग के फैसले की जानकारी देते हुए यही बात कही है. उनका कहना है कि एक बार आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाएंगी, तो इसका असर देश के सभी संगठनों पर दिखेगा. सभी संगठन इसका पालन करते हैं.
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