तिरुवनंतपुरम:झूठी नौकरी का वादा करके भारतीय युवाओं को रूसी भाड़े के सैनिकों के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया था. अंजुथेनगु के पांच मूल निवासियों में से एक, जिन्हें निजी भर्ती एजेंटों ने धोखा दिया था, अब दिल्ली पहुंच गए हैं.
अंजुथेंगु के मूल निवासी 27 वर्षीय प्रिंस के रिश्तेदारों ने बताया कि वह कल दिल्ली पहुंचे. उनके भाई प्रशांत ने कल शाम प्रिंस से फोन पर बात की. जानकारी के मुताबिक, प्रिंस ने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वह चिकित्सा उपचार और अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद घर लौटेंगे. परिजनों ने बताया कि प्रिंस रूस स्थित भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचा. वह सीबीआई समेत केंद्रीय एजेंसियों को बयान देने के बाद ही घर लौटेंगे.
एक अन्य फंसे हुए युवक, पोझियूर के मूल निवासी डेविड मुथप्पन, शनिवार को मास्को में भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचे थे. डेविड को प्रति माह 1.60 लाख रुपये के आकर्षक वेतन पर सुपरमार्केट में सुरक्षा की नौकरी की पेशकश की गई थी. नौकरी का झूठा झांसा देकर एजेंट ने डेविड से 3 लाख रुपए ऐंठे थे. वहां अधिकारियों ने उससे पासपोर्ट और सभी यात्रा दस्तावेज एकत्रित करके यूक्रेन सीमा पर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया.
अंजुथेंगु मूल निवासी राजकुमार, विनीत और टीनू सभी को सुरक्षा सेना सहायक के पद के लिए रूस में भर्ती किया गया था. भर्ती के पीछे मानव तस्करी टीम का हाथ था. तीनों 3 जनवरी को रूस गए थे. एजेंसी के प्रतिनिधि तीनों को सुरक्षा नौकरी की पेशकश कर रूस ले गए. रूस पहुंचने के बाद उन्होंने पासपोर्ट और मोबाइल फोन खरीदे. उनसे अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए और सैन्य शिविर ले जाया गया.