छत्रपति संभाजीनगर/ भुवनेश्वरः एक दौर था जब सुबह की चाय के साथ रेडियो पर गूंजती खबरें दिन की शुरुआत का अहसास कराती थीं, तो रात को धीमे सुरों में बजते गीत दिलों को सुकून देते थे. समय बदला, तकनीक आगे बढ़ी. रेडियो का जादू समाप्त हो रहा है लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे जुड़े हैं. महाराष्ट्र के संजय पवार और ओड़िशा के राजेंद्र साहू जैसे रेडियो प्रेमी इसे सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि अपनी भावनाओं का साथी मानते हैं. वर्ल्ड रेडियो डे के मौके पर मिलिए ऐसे ही दो दीवानों से.
दुर्लभ रेडियो का संग्रह: आज के एफएम युग में अगर आप पिछली पीढ़ी के लोगों के पास रेडियो से जुड़ी कई यादें हैं. ये यादें महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के सिडको इलाके में लगी एक प्रदर्शनी में देखने को मिल रही है. आपको शायद यकीन न हो, लेकिन आधुनिक समय में भी पुराने स्टाइल के दुर्लभ रेडियो देखने को मिल जाएंगे. सिडको के संजय पवार के पास रेडियो का अनूठा संग्रह है. उन्होंने बंद हो चुके कुछ सेटों की मरम्मत भी की है.
महाराष्ट्र के संजय पवार का रेडियो का क्लेक्शन. (ETV Bharat) अनूठा है शौकः सिडको एन8 में रहने वाले संजय पवार ने एक अनोखा शौक पाल रखा है. विवेकानंद कॉलेज में काम करने वाले पवार अब तक 400 से ज़्यादा रेडियो इकट्ठा कर चुके हैं. विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर उन्होंने सभी सेटों को प्रदर्शनी में रखा. उनके पास 1940 से लेकर अब तक के दुर्लभ सेटों का संग्रह है. संजय ने बताया कि बचपन से ही रेडियो के प्रति विशेष आकर्षण था. रेडियो से उनकी कई यादें जुड़ी हुई हैं.
संजय पवार ने बताया, "मेरे मन में रेडियो के प्रति एक खास लगाव पैदा हो गया था और वे इसे सहेज कर रखना चाहते थे. लेकिन, पैसे की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पाया. समय के साथ नौकरी मिल गई और शौक भी पूरा होने लगा. 1990 से रेडियो सेट इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. उनमें से कुछ खराब हालत में थे. खुद ही उसकी मरम्मत की. कई जगहों पर जाकर खराब रेडियो सेट की मरम्मत करता था."
महाराष्ट्र के संजय पवार का रेडियो का क्लेक्शन. (ETV Bharat) फिल्मों का ऐतिहासिक रेडियो सेटः आनंद फिल्म में दिखाया गया सेट, जेम्स बॉन्ड फिल्म में दिखाया गया लॉकमैन और 1940 के दशक से लेकर आज तक के 400 से ज़्यादा छोटे आकार के रेडियो इस संग्रह में हैं. 75 प्रतिशत सेट काम करने की स्थिति में हैं. रेडियो प्रेमी संजय पवार ने कहा कि अन्य सेटों की मरम्मत के लिए पार्टस की तलाश कर रहा है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन चार घंटे रेडियो के रखरखाव पर देता है.
150 साल पुराना रेडियो सेटः रेडियो सेट इकट्ठा करते समय उन्होंने पुराने फोन सेट भी इकट्ठा किए. लगभग 150 साल पुराने एक सेट को चालू हालत में संभाल कर रखा है. ऐसे कई सेट संभाल कर रखे हैं. इसके साथ ही उनके पास पुरानी लालटेन, चूल्हे आदि का अनूठा संग्रह है. रेडियो सुनने से हमें अपना काम खुशी से करने में मदद मिलती है, यह हमें खुश रहने में मदद करता है. इसलिए संजय पवार ने इस संग्रह को संभाल कर रखने की खुशी जाहिर की.
महाराष्ट्र के संजय पवार का रेडियो का क्लेक्शन. (ETV Bharat) रेडियो के दीवानों को जोड़ने का काम कियाः संजय पवार ने बताया कि उन्होंने इंग्लैंड में रेडियो मैकेनिक की मदद की. संजय ने बताया, "ब्रिटिश काल में आने वाला पहला रेडियोग्राम था. बड़ा सेट था जिसमें एक ही समय में सात डिस्क रखी जाती थीं. एक के बाद एक ऑटोमेटिक रूप से बजती थीं. आज देश में ऐसे सिर्फ़ दस सेट ही अच्छी हालत में हैं, उनमें से एक इस कलेक्शन में है. इस अनोखे रेडियो की मांग कई लोग कर रहे हैं. वे इसके लिए दो लाख तक देने को तैयार हैं. लेकिन, उसने इसे बेचा नहीं.
राजेंद्र के पास 600 से अधिक रेडियो के संग्रहः भुवनेश्वर के 47 वर्षीय राजेंद्र साहू के पास फिलिप्स, पैनासोनिक, सोनी जैसे ब्रांडों के 600 से अधिक विंटेज सेट हैं. बचपन में शुरू हुआ यह शौक जुनून में बदल गया. इसका श्रेय पास की एक रेडियो रिपेयर शॉप को दिया, जहां युवा राजेंद्र मैकेनिकों को सेट की मरम्मत करके उन्हें काम करने लायक बनाते हुए देखकर आश्चर्यचकित हो जाते थे. दुर्भाग्य से, दुकान बंद हो गई और राजेंद्र खुद को 500 रुपये में 100 पुराने सेट खरीदने से नहीं रोक पाए, बाकी सब इतिहास है.
ओड़िशा के राजेंद्र साहू का क्लेक्शन. (ETV Bharat) पत्नी देती है साथः पिछले 26 सालों से राजेंद्र हर तरह के रेडियो की तलाश में जगह-जगह घूम रहे हैं. वे देश भर के बाज़ारों में जाते हैं और पूरे राज्य में विक्रेताओं से संपर्क करते हैं. पुराने ज़माने के रेडियो इकट्ठा करते हैं. इस काम में उनकी पत्नी उनका साथ देती हैं. वे भी विंटेज सेट पर नजर रखती हैं. राजेंद्र के लिए उन्हें लाने की कोशिश करती हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ पैसे देने पड़ते हैं.
राजेंद्र का है सपनाः राजेंद्र परिवार का भरण-पोषण करने के लिए लकड़ी की कारीगरी करते हैं. लेकिन, अपनी शामें रेडियो को समर्पित करते हैं. सफाई करना, मरम्मत करना और कुछ रेडियो सुनना जो अभी भी काम करने की स्थिति में हैं. अपने घर को एक संग्रहालय के रूप में बनाना उनका सपना है. संग्राहलाय में इन ऐतिहासिक उपकरणों को प्रदर्शित किया जाए और समाज पर रेडियो के प्रभाव की कहानी बताई जाए.
ओड़िशा के राजेंद्र साहू का क्लेक्शन. (ETV Bharat) राजेंद्र का मानना है कि रेडियो में एक खास आकर्षण होता है और आज भी लोगों को प्रभावित करने की क्षमता है. वे कहते हैं, "रेडियो बचपन से ही मेरा दोस्त रहा है. यह लोगों को ऐसे तरीके से जोड़ता है, जैसा डिजिटल डिवाइस कभी नहीं कर सकते."उनका जुनून संग्रह करने से कहीं बढ़कर है. वे अगली पीढ़ी को रेडियो की सादगी और सुंदरता की सराहना करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं.
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