हैदराबाद:विश्व ल्यूपस दिवस हर साल 10 मई को मनाया जाता है. ल्यूपस एक बीमारी है. अब सवाल उठता है कि एक बीमारी के लिए कोई खास दिन बनाने की क्या जरूरत है? दरअसल, ल्यूपस बीमारी के बारे में बहुत से लोग जानते नहीं हैं. बता दें, ल्यूपस बीमारी इतनी भयानक होती है कि एक बार होने पर यह हमारे शरीर के सभी अंगों पर एक साथ हमला करती है. त्वचा, हृदय, गुर्दे, फेफड़े कोई भी अंग इसके संक्रमण से बच नहीं पाता, इसीलिए ल्यूपस के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस विशेष दिन का आयोजन किया जाता है.
जानकारी के मुताबिक ल्यूपस एक जटिल और दुर्बल करने वाली ऑटोइम्यून बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. इसकी विशेषता यह है कि प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के अपने ऊतकों पर हमला करती है, जिससे विभिन्न अंगों में सूजन और क्षति होती है. ल्यूपस सभी उम्र के लोगों, विशेषकर महिलाओं को प्रभावित करता है.
विश्व ल्यूपस दिवस का इतिहास
विश्व ल्यूपस दिवस का इतिहास 2004 का है जब ऑटोइम्यून बीमारी ल्यूपस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक अभियान आयोजित किया गया था. यह दिन पहली बार 2004 में कनाडा में आयोजित किया गया था. तब से, विश्व ल्यूपस दिवस इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों से जुड़ा हुआ है.
ल्यूपस क्या है?
ल्यूपस एक अजीब बीमारी है. जैसा कि हम सबको पता है कि हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली लगातार हमारे शरीर की रक्षा करती है. जब कोई बैक्टीरिया और वायरस जैसे रोगाणु बाहर से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करता है और उन पर हमला करता है. यह उन्हें निष्क्रिय कर शरीर से बाहर निकाल देता है. लेकिन ल्यूपस रोग में यह अलग है. इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) हमारे शरीर पर ही हमला कर देती है. प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा निर्मित एंटीबॉडीज हमारे शरीर के ऊतकों पर हमला करती हैं. इसीलिए इसे ऑटोइम्यून बीमारी कहा जाता है.
साफ शब्दों में कहें तो ल्यूपस के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय हो जाती है. जिससे एंटीबॉडी का निर्माण होता है जो स्वस्थ ऊतकों पर हमला करता है जिससे शरीर के किसी हिस्से में दर्द, सूजन और क्षति होती है.
यह भी बता दें कि ल्यूपस हमारे शरीर के एक हिस्से तक ही सीमित नहीं रहता. यह शरीर के सभी अंगों पर हमला करने की कोशिश करता है. ल्यूपस से पीड़ित लोगों के चेहरे पर तितली के आकार के दाने निकल आते हैं. बता दें, ऐसे दाने भेड़िये के चेहरे पर पड़े धब्बों जैसा दिखते हैं. इसीलिए इस बीमारी का नाम ल्यूपस रखा गया है. लैटिन में ल्यूपस का मतलब भेड़िया होता है.