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क्या होगा अगर ओम बिरला नहीं जीत सके स्पीकर का चुनाव ? जानें कौन किस पर पड़ेगा भारी - Lok Sabha Speaker Election

Lok Sabha Speaker Election: BJP के नेतृत्व वाले एनडीए ने ओम बिरला को फिर से लोकसभा स्पीकर का कैंडिडेट घोषित किया है. वह इंडिया ब्लॉक के के. सुरेश को चुनौती देंगे. के. सुरेश कांग्रेस पार्टी के नेता हैं.

Om Birla
ओम बिरला और के सुरेश (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 25, 2024, 6:01 PM IST

नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा का अगला स्पीकर कौन होगा, इसका फैसला अब चुनाव के जरिए होगा. स्पीकर को लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों पक्षों के बीच आम सहमति नहीं बन सकी. इसके चलते एनडीए ने अपनी ओर से एक बार फिर ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया ब्लॉक ने के सुरेश को प्रत्याशी बनाने का फैसला किया है. दोनों ही नेताओं ने अपना-अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है.

सांसदों की संख्या देखें तो साफ तौर पर ओम बिरला का पड़ला भारी नजर आता है, लेकिन इंडिया ब्लॉक भी इस पद को हासिल करने के लिए डट कर मेहनत कर रहा है. वहीं, स्पीकर के चुनाव में सबकी निगाहें उन सांसदों पर रहेंगी, जो किसी ओर नहीं है. इस समय स्पीकर का पद दोनों गठबंधन के लिए बेहद अहम है.

अगर कहा जाए कि स्पीकर का चुनाव मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी तो गलत नहीं होगा. वहीं, इससे इंडिया ब्लॉक की मजबूती दिखाई देगी. ऐसे में सवाल यह है कि अगर ओम बिरला स्पीकर पद का चुनाव नहीं जीत पाते हैं तो इसका क्या प्रभाव होगा.

ओम बिरला जीते तो क्या होगा?
अगर स्पीकर पद का चुनाव जीत जाते हैं तो सदन में एनडीए की स्थिति और मजबूत हो जाएगी. अगर सदन में एनडीए का स्पीकर होगा तो इससे विपक्ष के मनोबल पर प्रभाव पड़ेगा. बिरला की जीतने पर न सिर्फ सरकार का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि एनडीए सहयोगी दलों में एकजुटता भी दिखेगी.

अगर ओम बिरला हारे तो क्या होगा?
अगर स्पीकर के चुनाव में ओम बिरला को जीत नहीं मिलती है तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका होगा, क्योंकि टीडीपी और जेडीयू के पासा पलटे बिना बिरला का हारना मुश्किल है. इतना ही नहीं बिरला अगर चुनाव हारते हैं तो ऐसा संदेश जा सकता है कि बीजेपी के पास सरकार चलाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं है.

इसके अलावा अगर ऐसा होता है तो बीजेपी पर हमेशा सरकार गिरने का खतरा बना रहेगा और वह विपक्ष के दबाव में रहेगी. एनडीए का स्पीकर नहीं होने से सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या विधायी कामों में आएगी. साथ ही सरकार को सदन चलाने और नए विधेयकों को पास कराने में दिक्कत होगी.

संसद में कौन कितना ताकतवर?
543 सदस्य वाली लोकसभा में बीजेपी के पास 240 सीटें हैं, लेकिन एनडीए के पास कुल 293 सीट हैं. बीजेपी के बाद एनडीए में टीडीपी और जेडीयू सबसे बड़े दल हैं, जिनके पास क्रमश: 16 और 12 सीट हैं.

वहीं, अगर बात करें इंडिया ब्लॉक की तो इंडिया गठबंधन के पास 234 सीटें हैं. इसमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास 99 सीट हैं इसके बाद सपा का नंबर है, जिसके पास 37 सीट हैं. वहीं टीएमसी के पास 29 और डीएमके के पास 22 सांसद हैं.

लोकसभा के 15 सदस्य किसी के लिए भी बन सकते हैं ताकत
लोकसभा में एनडीए और इंडिया गठबंधन के अलावा 15 ऐसे भी सांसद हैं, जो लोकसभा में ताकत समीकरण में खास भूमिका निभा सकते हैं, बशर्ते कि वो किसी ओर रहें.हालांकि वाईएसआर इस बार एनडीए को इसलिए समर्थन नहीं देगी, क्योंकि आंध्र की उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी टीडीपी मोदी सरकार के एनडीए गठबंधन में शामिल है. हालांकि मोदी सरकार के पिछले टर्म में वाईएसआर कांग्रेस हर पग पर सत्ता पक्ष के साथ ही खड़ी नजर आई थी.

इसके अलावा संसद में 15 ऐसे सांसद हैं, जो किसी भी गठबंधन खेल बना या बिगाड़ सकते हैं. इस सदन में 07 निर्दलीय हैं. जिन्हें 14 दिनों के अंदर तय करना होगा कि वो किसी पार्टी में शामिल होंगे या फिर अपनी यही स्थिति बनाकर रखेंगे. इसके अलावा बाकी सदस्य अन्य दलों के हैं. इनमें वाईएसआर के 4, अकाली दल, एआईएमआईएम, आजाद समाज पार्टी और वायस ऑफ पीपुल्स पार्टी के एक-एक सदस्य हैं.

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