नई दिल्ली: इस महीने भारत का कूटनीतिक कार्यक्रम बहुत व्यस्त है.कई विदेशी प्रतिनिधियों की यात्रा के बीच नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा देउबा नई दिल्ली में हैं. इसी क्रम में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा का स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है. भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ सभ्यतागत संबंध और प्रगतिशील और बहुआयामी साझेदारी है. हमारी विकास साझेदारी में निरंतर गति की आशा है." वह विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर 18 से 22 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं.
सत्ता संभालने के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा है. उनकी यह यात्रा विदेश सचिव विक्रम मिस्री की काठमांडू यात्रा के एक हफ्ते बाद हो रही है. विदेश मंत्री की यह यात्रा भारत और नेपाल के बीच नियमित उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा के अनुरूप है. नेपाल भारत की 'नेबर फर्स्ट पॉलिसी' में प्राथमिकता वाला साझेदार है.
द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति पर चर्चा
इस यात्रा से दोनों पक्षों को द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति पर चर्चा करने और समीक्षा करने का अवसर मिलेगा. साथ ही दोनों देशों के संबंधों को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. नेपाली विदेश मंत्री और विदेश मंत्री जयशंकर के बीच होने वाली बैठक भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और विस्तारित करने के तरीकों की खोज पर केंद्रित होगी.
इस संबंध में विदेश मंत्री जयशंकर ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक पोस्ट में कहा, "नेपाल की आरजू देउबा का विदेश मंत्री के रूप में पहली बार भारत आने पर स्वागत है. आपसे बातचीत का बेसब्री से इंतज़ार है."
वहीं, भारत के पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा, "भारत और नेपाल के बीच सभ्यतागत संबंध राष्ट्रीय हितों से प्रेरित हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि उनकी योजनाओं में भारत के महत्व में कोई महत्वपूर्ण बदलाव या कमी आएगी.
यात्रा पर टिप्पणी करते हुए विशेषज्ञ ने कहा कि ये निरंतर बातचीत हैं और नेपाल में बड़ी संख्या में विकास परियोजनाओं के लिए सभी स्तरों पर लगातार और समय पर परामर्श की आवश्यकता है. भारतीय विदेश सचिव हाल ही में वहां गए थे और विदेश मंत्री निकट भविष्य में अपने प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के परिणामों और यात्रा पर चर्चा कर सकते हैं.
जब उनसे क्षेत्र में चीन के प्रभाव के संदर्भ में भारत-नेपाल संबंधों की प्रकृति के बारे में पूछा गया, तो त्रिगुणायत ने कहा, "जहां तकचीन का सवाल है, वह हर भूगोल में हमारे लिए चुनौती होगा, लेकिन वुल्फ वॉरियर और ऋण कूटनीति के खिलाफ सौम्य दृष्टिकोण को देखते हुए मुझे विश्वास है कि हमारे पड़ोस के मित्र यह समझ लेंगे कि उनके लिए क्या बेहतर है और जमीनी स्तर पर तथ्य सबके सामने हैं."
भारत और नेपाल के बीच गहरे संबंध
गौरतलब है कि पड़ोसी देश में राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव के बावजूद, नेपाल के प्रति भारत की विदेश नीति हमेशा अपरिवर्तित रही है. भारत और नेपाल के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंध हैं, जो उनके रणनीतिक संबंधों को काफी महत्वपूर्ण बनाते हैं. दोनों देश साझा सांस्कृतिक त्योहारों, परंपराओं और धार्मिक प्रथाओं सहित मजबूत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध साझा करते हैं.
लैंड लॉक है नेपाल
नेपाल चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ है और भारत और चीन के बीच स्थित है. उसकी भौगोलिक स्थिति इसे भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है. भारत चीन से संभावित सुरक्षा खतरों को लेकर चिंतित है. नेपाल की चीन से निकटता और हिमालय में इसकी रणनीतिक स्थिति इसकी राजनीतिक स्थिरता और संरेखण को भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाती है.