नई दिल्ली: द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के हाई लेवल पर चिंता जताई है, क्योंकि महाकुंभ के दौरान लाखों लोग संगम में डुबकी लगा रहे हैं. यह रिपोर्ट 3 फरवरी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा दायर की गई एक रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें प्रयागराज के संगम के पास दोनों नदियों के किनारे विभिन्न बिंदुओं पर, विशेष रूप से शाही स्नान के दिनों में फेकल बैक्टीरिया के उच्च स्तर का संकेत दिया गया था.
सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नदी के पानी की क्वालिटी बायो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) के संबंध में स्नान के मानदंडों के अनुरूप नहीं थी. इतना ही नहीं फेकल कोलीफॉर्म के संबंध में भी यह नहाने के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था.
वहीं, इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संगम का पानी न केवल डुबकी लगाने के लिए बल्कि पीने के लिए भी उपयुक्त है और सीपीसीबी की फेकल बैक्टीरिया रिपोर्ट के बाद महाकुंभ को बदनाम करने के लिए कथित दुष्प्रचार किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिका स्थित जल शोध कार्यक्रम,नो योर एच2ओ (KnowYourH2O) का कहना है, "अनुपचारित मल पदार्थ पानी में अतिरिक्त कार्बनिक पदार्थ जोड़ता है जो सड़ जाता है, जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है." साथ ही यह भी कहा कि यह एक्वेटिक इकोसिस्टम के लिए खतरा है.
इसमें कहा गया है कि फेकल कोलीफॉर्म के उच्च स्तर कई स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़े हैं, जिनमें टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और पेचिश शामिल हैं. गौरतलब है कि सीपीसीबी द्वारा उल्लिखित जल गुणवत्ता की निगरानी 12-13 जनवरी को की गई थी और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) चालू थे.
NGT के वकील ने क्या कहा?
इस बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के वकील गौरव बंसल ने मंगलवार को कहा कि गंगा जैसी पवित्र नदी का पानी साफ करने में सरकारें विफल रही हैं. हालात ये है कि नदी का पानी काफी दूषित है. सीपीसीबी की एक रिपोर्ट के जरिए सोमवार को एनजीटी को सूचित किया गया कि इन दिनों चल रहे महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में कई जगहों पर स्नान के लिए पानी की गुणवत्ता सही नहीं है. सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक 'फेकल कोलीफॉर्म' की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है.
फेकल कोलीफॉर्म क्या है ?
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, "सीवेज में फेकल पदार्थ की ताकत को कोलीफॉर्म काउंट द्वारा मॉनिटर किया जाता है, जो पानी की गुणवत्ता का एक पैरामीटर है.यह रोगजनकों के इंडिकेटर के रूप में कार्य करता है जो सबसे आम तौर पर दस्त, साथ ही टाइफाइड और आंतों की कई बीमारियों का कारण बनते हैं."
शहरी विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक 2004 की समिति ने सिफारिश की थी कि फेकल कोलीफॉर्म की सीमा 500 एमपीएन/100 मिली होनी चाहिए और कहा कि नदी में निर्वहन के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा 2,500 एमपीएन/100 मिली होनी चाहिए. एमपीएन/100 मिली प्रति 100 मिलीलीटर पानी के नमूने में सबसे संभावित संख्या को दर्शाता है.