उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / bharat

क्या होता है धाम और मंदिर में अंतर, जानिए क्यों छिड़ा 'केदारनाथ' नाम को लेकर पूरा विवाद? - Delhi Kedarnath Temple Controversy

Difference Between Dham And Temple, Delhi Kedarnath Temple Controversy हिमालय से लेकर दिल्ली तक 'केदारनाथ' नाम को लेकर जमकर बवाल हुआ. नाम को लेकर विवाद केदारनाथ फिल्म से लेकर धाम या मंदिर निर्माण तक पहुंचा. इस बीच धाम और मंदिर में अंतर को लेकर भी बहस छिड़ी. ऐसे में धर्माचार्यों से जानते हैं धाम और मंदिर में क्या अंतर होता है?

Difference Between Dham And Temple
धाम और मंदिर में अंतर (फोटो- ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 23, 2024, 2:31 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड):इन दिनोंकेदारनाथ धाम सुर्खियों में बना हुआ है. दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ का प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब तेलंगाना में भी एक दक्षिण केदारनाथ मंदिर का भूमि पूजन हो गया. विवाद बढ़ता देख धामी सरकार ने चारधाम समेत प्रमुख मंदिरों के नामों का इस्तेमाल करने पर कानूनी प्रावधान लेकर आने की बात कही है. यानी अब कोई उत्तराखंड के चारधामों की कॉपी न करें, लेकिन धार्मिक रूप से धाम और मंदिर में कोई अंतर है? या फिर धाम या ज्योतिर्लिंग के दूसरे मंदिर बना सकते हैं, इन्हीं सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने तमाम धर्माचार्यों से बातचीत की.

दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर निर्माण से खड़ा हुआ विवाद:उत्तराखंड में यह विवाद तब शुरू हुआ, जब दिल्ली के बुराड़ी (हिरनकी) में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर भूमि पूजन हुआ. इस मंदिर का निर्माण श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट करा रही है. लिहाजा, दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का भूमि पूजन होते ही बवाल शुरू हो गया. मामला तूल पकड़ा और चौतरफा विरोध के स्वर गूंजे तो सरकार को सफाई देने पड़ी. साथ ही खुद को मामले से अलग कर कैबिनेट बैठक में चर्चा तक कर दी.

केदारनाथ धाम (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- दूसरी जगह नहीं बनाया जा सकता केदारनाथ का धाम: इतना ही नहीं कैबिनेट बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि अगर कोई चारधाम समेत प्रमुख मंदिरों के नाम पर ट्रस्ट बनाता है तो उसे रेगुलेट करने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या ऐसा संभव है? इसको लेकर अलग-अलग मत धर्माचार्यों के सामने आ रहे हैं. ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि केदारनाथ एक ज्योतिर्लिंग और धाम है. इस तरह का धाम या मंदिर दूसरी जगह नहीं बनाया जा सकता है. यह शास्त्र के अनुसार भी नहीं है. शंकराचार्य इस मामले पर लगातार मंदिर समिति और सरकार पर हमला बोल रहे हैं.

धाम और मंदिर में अंतर जानिए:हरिद्वार के जाने मानेज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी मानते हैं कि केदारनाथ एक ज्योतिर्लिंग है और यहां पर भगवान की पूजा पद्धति का एक अलग ही विधान है. धाम और मंदिर में जमीन आसमान का अंतर है. वे बताते हैं कि धाम वो है, जहां पर भगवान स्वयं प्रकट हुए हैं. केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में किसी ने मूर्तियां नहीं रखी है. बल्कि, कहा जाता है कि भगवान शिव केदारनाथ में भैंस के पिछले हिस्से से ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. जो ज्योतिर्लिंग के रूप भक्तों को दर्शन देते हैं.

इसी तरह से बदरीनाथ को बदरीनारायण मंदिर या बदरी विशाल कहा जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं. गंगोत्री में तो गंगा स्वयं ही निकल रही है. यमुनोत्री धाम का भी यही वर्णन है. वैष्णो देवी में भी माता स्वयं भक्तों पर कृपा कर रही हैं. इसलिए यह हमारे पवित्र धाम हैं. मंदिर वे होते हैं, जहां पर लोग खुद भगवान को स्थापित करते हैं. इसलिए अगर किसी मंदिर में धाम इस्तेमाल किया जाता है तो वो सही नहीं है. मंदिर तो मंदिर ही रहेंगे, लेकिन धाम एक ही रहेगा.

सबके अलग-अलग हैं तर्क:धर्माचार्य और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रहे प्रदीप जोशी कहते हैं एक मंदिर के कई मंदिर हो सकते हैं. ये कहीं भी नहीं लिखा है कि अगर भगवान का एक मंदिर बन गया है तो उसका दूसरा मंदिर नहीं बनाया जा सकता. अगर अयोध्या में राम मंदिर बन गया है तो क्या दूसरी जगह पर राम मंदिर नहीं बन सकता? वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू में है, लेकिन उसके स्वरूप और वैसा ही गुफा का मंदिर कई जगहों पर हैं.

प्रदीप जोशी ने कहा कि हरिद्वार में भी ऐसा ही मंदिर मौजूद है. ऐसा ही अगर केदारनाथ का मंदिर दिल्ली, तेलंगाना या अन्य जगहों पर बन रहा है तो इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. क्योंकि, जब हम कुमाऊं में पाताल भुवनेश्वर मंदिर जाते हैं तो वहां पर सैकड़ों साल पुराने छोटे-छोटे चारधाम मंदिरों को बनाया गया है. इसी तरह से जागेश्वर धाम के शिवलिंगों में एक केदारनाथ के नाम का शिवलिंग भी रखा गया है. इसीलिए अगर कोई इस पर विवाद करता है तो यह तर्कसंगत और शास्त्र संगत नहीं है.

क्यों बंद होते हैं 6 महीने के लिए चारों धामों के कपाट: उत्तराखंड केचारधाम में 6 महीने मनुष्य भगवान की पूजा करते हैं. जबकि, पुराणों में ये कहा गया है कि 6 महीने जब कपाट बंद होते हैं तो देवी-देवता भगवान की आराधना करते हैं. यानी 6-6 महीने का समय पूजा पद्धति का दिया गया है. इसके अलावा इन चारों धामों में बर्फबारी भी होती है. ऐसे में वहां पहुंचना मुश्किल होता है. ऐसे में माना जाता है कि जब मनुष्य नहीं जा पाते हैं, तब देवी-देवता भगवान की आराधना खुद करते हैं.

यहां भी है उत्तराखंड जैसे मंदिर:बता दें कि केदारनाथ मंदिर की तरह ही दिल्ली में मंदिर बनाया जा रहा है. जिसका लगातार विरोध किया जा रहा था. हालांकि, अब उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास किया है. जिसमें कहा जा रहा है कि उत्तराखंड के धामों और प्रमुख मंदिरों का दूसरा स्वरूप कहीं नहीं बनाया जा सकता. जबकि, बदरीनाथ जैसे स्वरूप के पंडाल मुंबई, सिक्किम समेत अन्य जगहों पर बने हुए हैं. वहीं, अब केदारनाथ का मंदिर दिल्ली के साथ तेलंगाना में भी बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details