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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का हिमाचल सरकार से सवाल- बच्चा बीमार हो तो क्या रिजाइन कर दे मां? - CJI to HP govt - CJI TO HP GOVT

CJI to HP govt, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश की सरकार से पूछा है कि बच्चे की देखभाल के लिए मां को छुट्टी क्यों नहीं दी जानी चाहिए? पढ़िए पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court

By Sumit Saxena

Published : Apr 22, 2024, 5:46 PM IST

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर स्टेट यूनिवर्सिटी की एक महिला प्रोफेसर की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ विशेषाधिकार का मामला नहीं है, बल्कि संवैधानिक अधिकार है. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान यह सुनिश्चित करने के एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उद्देश्य को पूरा करता है कि वे अपनी भागीदारी से वंचित न रहें.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाए और उसकी मां को इस्तीफा देना पड़े तो क्या होगा? सीजेआई ने पूछा, 'बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी क्यों नहीं दी जानी चाहिए.' इस पर राज्य सरकार के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें मामले में निर्देश लेने के लिए कुछ समय दिया जाए. कोर्ट ने नोट किया कि याचिकाकर्ता शालिनी धर्माणी एक सरकारी कॉलेज में भूगोल विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं और उनका बेटा जो अब 14 साल का है और जेनेटिक डिसऑर्डर ओस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा से पीड़ित है. जन्म के बाद से उसकी कई सर्जरी हो चुकी हैं. ऐसे में उसके जिंदा रहने और सामान्य जीवन जीने के लिए निरंतर इलाज सर्जरी की जरूरत है.

केंद्र सरकार ने चाइल्ड केयर लीव की अनुमति दी-सीजेआई ने कहा कि अपने बेटे के इलाज के कारण याचिकाकर्ता ने अपनी सभी छुट्टियां ले लीं और सेंट्रल सिविल सर्विस (लीव) 1972 के नियम 43-सी में भी चाइल्ड केयर लीव देने का प्रावधान है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 3 मार्च 2010 को एक ज्ञापन के जरिए केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों को 22 साल की आयु तक दिव्यांग बच्चों के लिए चाइल्ड केयर लीव की अनुमति दी है.

अगस्त में होगी अगली सुनवाई-पीठ ने हिमाचल प्रदेश सरकार को स्पेशल केयर वाले बच्चों का पालन-पोषण करने वाली माताओं के लिए छुट्टियों के नियमों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया और मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का भी निर्देश भी दिया. कोर्ट मामले की अगली सुनवाई अगस्त में करेगी.

हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका-गौरतलब है कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चाइल्ड केयर लीव की मांग करने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट के जज ने कहा था, 'प्रदेश ने चाइल्ड केयर लीव के प्रावधान को नहीं अपनाया है, इसलिए ऐसी छुट्टियां मंजूर नहीं की जा सकतीं.'

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